नाविका कुमार उस डिबेट की एंकर थी जिस शो में नुपुर शर्मा ने यह टिप्पणी की. नुपुर शर्मा पर तो फिर भी कुछ कार्यवाही हुई और उन्होने माफी भी मांगी लेकिन टाइम्स नाउ की एंकर नविका कुमार ने न तो माफी मांगी न ही उन पर कोई कार्यवाही हुई?

जहां तक मुझे जानकारी है ऐसी डिबेट सीधी लाइव प्रसारित नही होती कुछ मिनट का अंतर होता है उस हिस्से को प्रसारित होने से रोका जा सकता था. यदि प्रसारित हो ही गया था तो भी नेट पर डालने से पहले एडिट किया जा सकता था लेकिन नही किया गया?

समाज में सबसे ज्यादा गंदगी किसी ने मचाई हुई हैं तो ऐसी नफरती डिबेट्स ने मचाई है.

मान लिया कि यह सब एक योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है लेकिन आप भी कुछ कर सकते हैं.

सबसे पहले न्यूज चैनलों पर धार्मिक आधार पर दिखाई जा रही बहसों का बहिष्कार कीजिए. जैसे ही news 18, आज तक, जी न्यूज, एबीपी और रिपब्लिक जैसे चैनलो पर ऐसी कोई भी बहस चलती दिखाई दे तुरंत दूसरा चैनल लगाइए.

ऐसी नफरती डिबेट में जानें वाले पांच हजारी मौलानाओं का सामाजिक बहिष्कार कीजिए.

टीवी चैनल को चलाने में करोड़ों रुपए लगते है उनकी टीआरपी घटाइए ताकि उन्हें विज्ञापन मिलने बंद हो जाए. विज्ञापन बंद होंगे तो वह उनका कारण जानना चाहेंगे पता चलेगा कि लोग ऐसी डिबेट को देखना पसंद नही कर रहे हैं तो झक मारकर उन्हे उसे बंद करना होगा कब तक सरकार उन्हे विज्ञापन देगी ?

क्या आपने पिछले एक हफ्ते से कोई बहस देखी है जिसमे ज्ञानवापी, ताजमहल कुतुब मीनार आदि में चल रही खुदाई की चर्चा हो ? जबकि 10 से 12 दिन पहले ऐसी डिबेट हर चैनल पर चल रही थी. ऐसी डिबेट न्यूज चैनलों ने घबराकर बंद नही की है.

ऐसी डिबेट न्यूज चैनलों ने इसलिए बंद कर दी क्योंकि उनके उद्देश्य पूरे हो गए हैं. अब डिबेट का काम न्यूज रिपोर्ट से ही चल रहा है.

इन टीवी डिबेट का उद्देश्य समाज में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करना था वो काम बखूबी उन्होने पूरा कर लिया. अगले कुछ महीनों में ये डिबेट फिर से शुरू कर दी जाएंगी और एक लेवल और बढ़ेगा नेक्स्ट लेवल की बहस स्टार्ट हो जाएगी. जहां इतने दिन भी नहीं लगेंगे तुरंत ही दंगे शुरू हो जाएंगे.

यदि आप चाहते है कि ऐसा न हो तो ऐसे चैनलों का ऐसी डिबेट्स का बहिष्कार करना आज से ही शुरू कर दीजिए.

(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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