अटल बिहारी वाजपेयी बीमार थे, तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। आज सोनिया गांधी बीमार हैं तब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं।

राजीव गांधी ने विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी को बहाना बनाकर विदेश भेजा था और उनका इलाज करवाया था। आज सोनिया गांधी बीमार हैं, अस्पताल में हैं तब नरेंद्र मोदी ने उनपर ईडी छोड़ दी है।

1988 की बात है। अटल बिहारी सांसद हुआ करते थे। उनको किडनी की बीमारी हो गई। इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता था। इसका इलाज विदेश में हो सकता था लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि कहीं विदेश जाकर ढंग से इलाज करा लें। यह बात कहीं से राजीव गांधी को पता चली।

राजीव गांधी ने अटल को बुलवाया और उनसे आग्रह किया कि आप न्यूयार्क में हो संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में शामिल होंगे तो मुझे खुशी होगी। आप प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो जाइए।

अटल न्यूयार्क गए तो राजीव गांधी ने वहां उनके इलाज की भी व्यवस्था करा दी। अटल स्वस्थ होकर वापस लौटे।

1991 में जब राजीव गांधी की हत्या हुई तो अटल बिहारी वाजपेयी ​बड़े भावुक हो गए। करण थापर से एक इंटरव्यू में कहा कि राजीव गांधी की असमय मौत मेरे लिए व्‍यक्तिगत क्षति भी है।

राजीव जी ने कभी भी राजनीतिक मतभेदों को आपसी संबंधों पर हावी नहीं होने दिया। मैंने अपनी बीमारी की बात ज्‍यादातर लोगों को नहीं बताई थी लेकिन राजीव गांधी को किसी तरह से इस बारे में पता चल गया। उसके बाद उनकी मदद के कारण ही मैं स्‍वस्‍थ हो पाया।

जब सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर भाजपाई नंगा नाच रहे थे। इस मसले पर अटल चुप थे। पत्रकारों ने पूछा कि आप कुछ क्यों नहीं बोल रहे। उन्होंने कहा कि मेरा मुंह मत खुलवाओ।

जब प्रधानमंत्री राजीव ने विदेश भेजकर मेरा इलाज करवाया था तब यह सोनिया गांधी ही थीं जो समय समय पर मेरा हालचाल लेने मेरे घर आती थीं। मैं चुप रहूं, यही बेहतर है।

वह दौर अब जा चुका है। विपक्ष की दिग्गज नेता सोनिया गांधी लगभग दो हफ्ते से कोरोना ग्रस्त हैं। परसों से वे अस्पताल में हैं। इधर, मोदी सरकार ने उनके परिवार पर ईडी नाम का पालतू जानवर छोड़ रखा है। मसला भी क्या?

एक ऐसा बोगस केस जिसे खुद ईडी पहले ही बंद कर चुकी थी, उसका बहाना लिया गया है। मां अस्पताल में है और बेटा, बेटी दोनों पर सड़क पर पुलिस के धक्के खा रहे हैं।

बहरहाल… क्रूरता, जुल्म, दमन, अत्याचार, तानाशाही और बर्बरता की उम्र बहुत लंबी नहीं होती।

(ये लेख पत्रकार कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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