श्रीलंका की तरह ही भारत में भी आर्थिक संकट की आहट सबसे पहले पेट्रोल पंप से आनी शुरू हो गई है। देश के कई प्रदेशों में ईंधन की किल्लत के कारण हजारों पेट्रोल पंप बंद हो चुके हैं।

तेल कंपनियों की मांग और आपूर्ति की चेन डिस्टर्ब होने के बाद राजस्थान में लगभग 2000 पेट्रोल पंप ड्राई हो चुके हैं।

आपको बता दें कि राजस्थान में कुल लगभग साढ़े 6 हजार पेट्रोल पंप हैं। ऐसे में लगभग 2 हजार पेट्रोल पंप के ड्राई होने के बाद स्थिति काफी गंभीर हो गई है।

ऐसी ही स्थिति उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में भी देखी जा रही है पेट्रोल-डीजल सप्लाई की अघोषित कटौती से संकट गहरा गया है। सैंकड़ों पंप सूखने जैसी स्थिति में हैं. जिन पंपों पर ईंधन है भी, तो वहां मात्र तीन-चार दिन का ही स्टॉक बचा है।

मप्र पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘सप्लाई में दिक्कत आ रही है, जिससे मप्र के बहुत सारे पंप ड्राई आउट हो गए हैं. किसानों को परेशानी हो जाएगी, हमें भी दिक्कत होगी। इस सीजन में नुकसान कवर नहीं कर पाएंगे. शहर के पंप 2 से 3 घंटे बंद हो रहे हैं, क्योंकि सप्लाई नहीं हो रही है।

अब समझिए कि दिक्कत कहा आ रही है। भारत में मुख्य रूप से पांच बडी कंपनिया है जो पेट्रोल डीजल की मार्केटिंग करती है। तीन सरकारी है- इन्डियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और दो प्राइवेट है रिलायंस और एस्सार ( नायरा )।

इसमें सिर्फ इन्डियन ऑयल ही ऐसी कंपनी है जो अपने पेट्रोल पंप को निर्बाध आपूर्ति कर रही है। बची हुई दो सरकारी फ्यूल ऑयल कंपनियां भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम की डिमांड और सप्लाई का अनुपात अस्थिर हो गया है।

अगर कोई पंप मालिक इन दोनो कम्पनियो से दिन के तीन टैंकर मंगवाता है तो ये सिर्फ एक ही टैंकर दे रही है और कई जगहों पर तो वो भी नही दे पा रही है, कंपनियों को एडवांस देने के बावजूद भी कंपनियों सप्लाई नहीं कर रही हैं। बाकि बची दो प्राईवेट कम्पनी रिलायंस और एस्सार,…..तो उनके पंप तो कई दिनो पहले बंद हो चुके हैं। यानि सारा बोझ अब इन्डियन ऑयल पर है लेकिन उसका प्रोडक्शन भी सीमित है।

कच्चे तेल की प्राइस लगातार बढ़ रही है ऐसे में मौजूदा पेट्रोलियम कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती की है, ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों बड़ी सरकारी तेल कंपनियां सप्लाई में कटौती कर ज्यादा नुकसान होने से बचाव की कोशिश में हैं, इन पर रिलायंस और एस्सार के पंप बंद होने का भी दबाव है।

एक बात और है कि ओपेक देशों ने जुलाई में भारत को सप्लाई किए जाने वाले कच्चे तेल की कीमत और भी बढ़ा दी है यानि कुल मिलाकर हालात लंबे समय तक सुधरते नजर नहीं आ रहे हैं।

मोदी सरकार की असली परीक्षा की घड़ी आ गई है क्योंकि यहां जुमलेबाजी से काम नहीं चलेगा।

(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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