अग्निपथ स्कीम सेना के निजीकरण का प्रयास है। जी हां यदि कुछ ही शब्द में इसका विश्लेषण करना हो तो उपरोक्त वाक्य बिलकुल सही है।
आप सोच रहे हैं न कि 4 साल बाद जो अग्निवीर सेना से रिटायर होकर बाहर निकलेगा, उसके सामने क्या विकल्प होगा? तो अपने दिलोदिमाग की खिड़कियां जरा खोल लीजिए।
अगले चार पांच सालों में देश के अधिकांश पीएसयू बिक चुके होंगे, सैकड़ों एकड़ में फैले हुए इनके परिसर की देखभाल का जिम्मा जो अभी सरकारी एजेंसियो के जिम्मे है वो बड़े प्रायवेट ऑपरेटर्स के पास चला जायेगा। बड़े प्रायवेट ऑपरेटर्स यानि अडानी अम्बानी
एयरपोर्ट इनके कब्जे में है, देश के महत्वपूर्ण बंदरगाह इनके कब्जे में है, हर प्रकार के खनिज की खदाने इनके कब्जे में है ये रेलवे स्टेशन खरीद रहे हैं तो इन्हे सुरक्षाकर्मियों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी?
आखिरकार उन्हे भी तो यंग और ट्रेंड लड़ाकों की जरूरत पड़ेगी ही क्योंकि उन्हें अपना साम्राज्य बचाना है। तो शुरूआती चार पांच सालों में जितने भी अग्निवीर रिटायर होंगे वहीं खप जाएंगे।
अडानी अम्बानी को भी तो अपनी प्राइवेट आर्मी बनानी है। जी हां प्राइवेट आर्मी ! यह दशक खत्म होते होते यह सब आप देखने वाले है।
प्राइवेट आर्मी को देश की सरकार ठेके देगी, संभवत यह आपको गृह मंत्रालय के अंतर्गत भी काम करते हुऐ नजर आएंगे। सब तैयारी हो चुकी है। इस योजना के ड्राफ्ट बन चुके है, उत्तर प्रदेश में इसे जल्द ही इंप्लीमेंट किया जाना है।
विदेश में यह कॉन्सेप्ट बहुत पहले ही आ चुका है। यह अग्निवीर आगे चलकर भाड़े के सैनिक बनेंगे, भाड़े या किराए के सैनिक को अंग्रेजी में mercenaries कहा जाता हैं। बीसवीं शताब्दी से पहले इनका एक अलग ही इतिहास रहा है कभी और इस विषय पर चर्चा करेंगे।
दुनियाभर में जब भी युद्ध होते हैं तो कई देश किराए की सेना का सहारा भी लेते हैं। साल 2020 में प्रकाशित सीएसआईएस की रिपोर्ट के मुताबिक, शीत युद्ध के बाद, देश की सरकार और गैर सरकारी संस्थानों में प्राइवेट सिक्यूरिटी कंपनी (पीएससी) और प्राइवेट मिलिट्री कंपनी (पीएमसी) की मांग में तेजी आई. ये मिलिशिया (पार्ट टाइम सैनिक या नागरिक सेना) आमतौर पर ‘फ्रीलांस सैनिक’ होते हैं. ये सस्ते और अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं.
ऐसा इसलिए, क्योंकि इनकी छोटी संख्या को किसी खास मिशन पर भेजा जा सकता है. इसके साथ ही, इस तरह के ग्रुप की जवाबदेही कम होती है।
अग्निवीर भी इसी कॉन्सेप्ट के आधार पर बनाई गई योजना है और एक तरह से यह सब न्यू वर्ल्ड आर्डर का हिस्सा है।
अभी जो युक्रेन में युद्ध चल रहा है वहा भी पुतिन द्वारा रूस की प्राइवेट सैन्य कंपनी वैगनर ग्रुप के सैनिक, यूक्रेन की राजधानी में तैनात किए गए हैं।
युद्ध में प्राइवेट आर्मी की मदद लेने की शुरुवात इराक युद्ध में हुई। इराक के खिलाफ अमेरिका ने किराए की सेना का इस्तेमाल किया था। अमेरिकी सरकार ने इसमें प्राइवेट सैन्य कंपनी ब्लैक वाटर का सहारा लिया और बाद में उन्हें वहा तैनात भी किया।
ब्लैकवाटर के सैनिकों के पास पॉल स्लॉग, इवेन लिवर्टी, डस्टिन हर्ड और निकोलस स्लाटर मशीन गन, ग्रेनेड लॉन्चर जैसे हथियार और स्नाइपर से लैस एक बख्तरबंद काफिला था। यानि वो सारी सुविधाएं और आर्टलरी थी जिनका सेना इस्तेमाल करती है।
इस काफिले ने इराक की राजधानी बगदाद में निसौर चौर पर निहत्थे और निर्दोष लोगों पर गोलियां बरसाईं थीं। इस घटना में दो बच्चों समेत 17 लोगों की मौत हो गई थी।
इस घटना पर बहुत हल्ला मचा और इस मामले की जांच की गई जांच में यूएस फेडरल कोर्ट ने 2014 में ब्लैक वाटर कंपनी के 4 गार्ड्स को दोषी पाया था और सजा सुनाई थी। लेकिन दिसंबर 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन चार दोषियों को माफी दे दी,
अमेरिकी कोर्ट ने ब्लैकवाटर को प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध के बाद कंपनी ने अपना नाम बदल कर एक्सई सर्विस रख लिया है। आज भी यह प्राइवेट सेना अपनी सर्विसेस दे रही है।
अब आप समझ ही गए होंगे कि आगे जाकर अग्नि वीर सैनिक क्या करेंगे और अग्निपथ योजना किस चिड़िया का नाम है, दरअसल यह सब न्यू वर्ल्ड आर्डर का हिस्सा है।
(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)