उद्धव ठाकरे ने कहा कि विधायक सामने आकर कहें तो इस्तीफ़ा दे देंगे। संजय राउत दिन भर बोलते-बोलते थक गए होंगे कि मुंबई आ जाएँ। जो मुंबई में हैं, वो भी गुवाहाटी चले गए। तो ऐसे में उद्धव को क्या करना चाहिए?

अगर विधायक उनके सामने नहीं आ रहे हैं तो क्या उद्धव को विधायकों के सामने नहीं चले जाना चाहिए। पूरी पार्टी ही गुवाहाटी चली गई है। उद्धव मुंबई में क्या कर रहे हैं? कम से कम अपने विधायकों के लिए मुंबई से बड़ा-पाव लेकर जा ही सकते हैं।

दलबदल एक माइंड गेम है। इसका अंजाम पहले से तय था और जैसा तय था, वैसा ही होगा। बीच की सारी घटनाएँ और सूचनाएँ परचून का सामान लाने के जैसी हैं। उद्धव को भी माइंड गेम खेलना चाहिए। कम से कम मीडिया को एक महान दृश्य मिलेगा कि

शिव सेना का प्रमुख अकेला मोर्चे पर पहुँच गया है। वह हार चुका है मगर हारने से पहले हथियार नहीं डाल रहा है। हार में भी रोमांच होता है।

उद्धव चाहें तो अपनी हार में रोमांच पैदा कर सकते हैं।उन्हें गुवाहाटी चले जाना चाहिए।उन्हें ही क्यों शरद पवार को भी अपने विधायकों को लेकर गुवाहाटी पहुँच जाना चाहिए।

असम के मुख्यमंत्री ने कहा है कि गुवाहाटी के होटल अच्छे हैं। कोई भी आ सकता है।पर्यटन का विकास होगा।महाराष्ट्र संकट बोरिंग हो चला है। अगर उद्धव और शरद पवार में लड़ने की क्षमता है, तो उन्हें गुवाहाटी पहुँच जाना चाहिए।

अपने कार्यकर्ताओं को असम रवाना कर देना चाहिए ताकि सभी असम में बाढ़ राहत का काम करें और पर्यटन भी करें।

वह दृश्य कितना शानदार होगा। शिवसेना के सारे विधायक होटल में और होटल के बाहर उद्धव ठाकरे अकेले खड़े रहेंगे। क्या विधायक पीछे के रास्ते से निकल जाएँगे?

खिड़की से तो कूदेंगे नहीं? क्या होटल वाला उद्धव ठाकरे को भीतर नहीं जाने देगा? क्या असम के मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का स्वागत नहीं करेंगे?

रेडिसन ब्लू के बाहर थके-थके से लग रहे रिपोर्टरों में जान आ जाएगी। उद्धव आख़िरी बार अपनी पार्टी को उस होटल में देख सकेंगे, जिसे उन्होंने अपने पिता के बाद बनाए रखा और यहाँ तक पहुँचाया।

शिव सेना का चिन्ह टाइगर है। टाइगर को अपने पिंजड़े से निकल कर राजनीति के जंगल में घूम आना चाहिए। पता चलेगा कि जंगल में किसका राज है। टाइगर का या टाइगर से लड़ने वाले फाइटर का!

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