ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट आ गयी है मित्रों, डंका बज रहा है मित्रों। लेकिन बिके हुए मीडिया पर यह खबर गायब है कि भारत 94 पायदान पर आया है।

पिछले साल 2019 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 102वें स्थान पर आया था लेकिन इस आधार पर यह नही कहा जा सकता कि भारत की स्थिति सुधरी है क्योकि पिछली बार इस सूची में 117 देश शामिल थे लेकिन इस बार मात्र 107 देश शामिल हुए हैं।

मोदी राज में हमारी स्थिति बद से बदतर की तरफ बढ़ रही है। साल 2014 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में भारत 55वें पायदान पर था. लेकिन 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में सरकार बनने के बाद भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट दर्ज की गई।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 2015 में भारत 55वें स्थान से फिसलकर 80वें पायदान पर पहुंच गया, वहीं 2016 में 97वें और 2017 में 100वें स्थान पर पहुंच गया. 2018 में 103 वें स्थान पर था और 2019 में 102 वे नम्बर आया और इस साल सूची में कम देश होने के कारण वह 94 स्थान पर है।

हर साल अक्टूबर में ये रिपोर्ट जारी की जाती है. कल सौमित्र भाई ने याद दिलाया कि यह रिपोर्ट आ गयी हैं बिके हुए मीडिया में तो इसकी कोई चर्चा तक नही है 2020 में इस रिपोर्ट का 15 वां संस्करण आया है।

अब आप यह समझिए कि यह सूची क्या है ?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है, मसलन, लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं। इस इंडेक्स में दुनिया के विकसित देश शामिल नहीं होते हैं। साल 2006 में इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट (आईएफपीआरआई) नाम की जर्मन संस्था ने पहली बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी वैश्विक भूख सूचकांक जारी किया था।

‘ग्लोबल इंडेक्स स्कोर’ ज़्यादा होने का मतलब है उस देश में भूख की समस्या अधिक है. उसी तरह किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहाँ स्थिति बेहतर है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स को नापने के चार मुख्य पैमाने हैं – कुपोषण, शिशुओं में भयंकर कुपोषण, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर। मोदी जी का न्यू इंडिया इन चारों मोर्चो पर फेल साबित हुआ है।

हम दावे करते हैं कि हम अब विकासशील से विकसित देशो की सूची में आने वाले हैं हम दावे करते हैं कि हम विश्व की सबसे बड़ी पांचवीं – छठी अर्थव्यवस्था हैं लेकिन सच तो यह है कि हम भारत में सभी नागरिकों की भूख हम मिटा नहीं पाए हैं।

अदम गोंडवी ने लिखा है-
‘उनका दावा, मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया
पर हक़ीक़त ये है कि मौसम और बदतर हो गया’

हमारे न्यूज़ चैनल अपने देश में बढ़ती महंगाई से ज्यादा पाकिस्तान की भुखमरी की खबरे बताते हैं। लेकिन यह रिपोर्ट बताती है कि कोरोना काल मे गहरे आर्थिक संकट झेलने के बावजूद अपनी स्थिति सुधारते हुए 88 वें स्थान पर पहुंच गया है।

2020 की इस लिस्ट में भारत (94) तो अन्य एशियाई देशो जैसे नेपाल(73), म्यांमार(69), श्रीलंका(64) और बांग्लादेश (75) से भी बहुत पीछे है। लेकिन इसके बावजूद न तो मोदी सरकार को शर्म आएगी और न उसका गुणगान गाते रहने वाली मीडिया को।

(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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