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Railways

सरकार को चाहिए कि इस संकट काल में गरीबों की किडनी निकाल ले. गरीब लोग हैं, उनका खून निकाल कर व्यापार भी किया जा सकता है. इस सरकार से हम इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं कर सकते.

देश में 1200 से ज्यादा लोगों को कोरोना लील गया है. करोड़ों गरीबों पर पहाड़ टूटा है, ऐसे में सरकार बहादुर को वसूली सूझ रही है.

रवीश कुमार के लेख का यह हिस्सा पढ़िए-

“द हिन्दू की ख़बर बताती है कि श्रमिक स्पेशल के मज़दूर यात्रियों से 50 रुपये अतिरिक्त लिए जा रहे हैं। रेलवे बोर्ड के सर्कुलर में कहा गया है कि स्लीपर क्लास के किराया के साथ 50 रुपये अतिरिक्त लिए जाएंगे। 30 रुपये सुपरफास्ट चार्ज और 20 रुपए अतिरिक्त। कुल 50 रुपये।

मनीष पानवाला की रिपोर्ट है कि सूरत से उड़ीसा के ब्रह्मपुरी स्टेशन के लिए श्रमिक स्पेशल चली है उसके लिए जब उन्हें पता चला कि 710 रुपये किराया लगेगा तो मज़दूर रिश्तेदारों और दोस्तों से मदद मांगने लग गए। केरल से भी इसी तरह की ख़बर आई है। आपने बसों को परमिट दिए जाने की ख़बर सुनी होगी। बहुत से मज़दूरों ने 4000 से 5000 रुपये देकर बस यात्रा की है। एक परिवार पर 15 से 20 हज़ार का अतिरिक्त बोझ पड़ा होगा।”

फंसे हुए लोगों को घर पहुंचाना है तो उनसे ज्यादा पैसा वसूल लिया जाएगा? कोई सरकार ऐसा कैसे कर सकती है? जिन लोगों के सामने जान बचाने का संकट है, उनसे इस तरह वसूली किया जाना बेहद शर्मनाक है.

(ये लेख पत्रकार कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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