एक तरफ JNU छात्र-छात्राएं बढ़ी हुई फीस के मामले पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, नारेबाजी कर रहे हैं। दूसरी तरफ गोदी पत्रकार, सरकार की तरफदारी कर रहे हैं और छात्र-छात्राओं को ही ताने दे रहे हैं।
जिन पत्रकारों का काम था सरकार से सवाल पूछना, वो खुद ही JNU छात्रों को सोशल मीडिया पर ट्रोल कर रहे हैं। इसी का एक नमूना है आज तक की एंकर श्वेता सिंह, उन्होंने छात्रों के प्रोटेस्ट की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा-
एक तरफ़ हैं 20-21 साल की उम्र में नौकरी करके परिवार का पेट पालने वाले जवान। (जो टैक्स भी भरते हैं) दूसरी तरफ़…
एक तरफ़ हैं 20-21 साल की उम्र में नौकरी करके परिवार का पेट पालने वाले जवान। (जो टैक्स भी भरते हैं) दूसरी तरफ़… pic.twitter.com/PkmRUDzyt3
— Sweta Singh (@SwetaSinghAT) November 11, 2019
इसके बाद सोशल मीडिया पर तमाम ऐसी प्रतिक्रियाएं आने लगीं जो उनके ट्वीट के जवाब में थी। इसी बहस के मद्देनजर पत्रकार कृष्णकांत में लिखते हैं-
टैक्स सिर्फ हराम की तनख्वाह उठाने वाले नेताओं के चमचे नहीं देते। इस देश की हर आबादी टैक्स देती है। मजदूर, किसान, झुग्गी वाला, बेघर हर कोई अपनी ज़रूरत के सामान खरीदता है तो उसपर लगने वाला टैक्स अदा करता है। यह धूर्तता भरी निकृष्ट बहस बन्द करो।
जिन दो कौड़ी के चमचों को टैक्स के पैसे की बहुत चिंता है वे बच्चों से क्या हिसाब मांगते हैं? जरा हिम्मत है तो एक बार माई बाप से पूछो कि राफेल की दलाली का पैसा टैक्स का नहीं था? उसपर उठे सवालों का जवाब कहाँ है?
व्यापम घोटाला, चिक्की घोटाला, पीएफ घोटाला, चावल घोटाला, नोटबन्दी घोटाला वगैरह टैक्स के पैसे की लूट नहीं था? इसका हिसाब कहाँ है?
यूनिवर्सिटी के छात्रों को टैक्स का ताना देने वालों से सतर्क रहिये। ये वही लोग हैं जो बताते हैं कि परमाणु हमले के समय बेसमेंट में घुस जाना और 2000 के नोट में लगी चिप से संदेश भेजकर मदद बुला लेना। ये कंप्लीट गधे हैं।
( ये लेख कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )