PM cares फंड की कहानी सुनेंगे?
19 मई 2020 को TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक PM cares फंड पहले तीन महीने में कुल 10,600 करोड़ रुपए जमा हुआ।
13 मई 2020 को सरकार ने इसमें से 3100 करोड़ रुपए कोविड अभियान के तहत जारी किए।
2000 करोड़- भारत में बने 50,000 वेंटिलेटर के लिए।
1000 करोड़- प्रवासी मजदूरों पर खर्च होने थे ताकि वो बिना परेशानी घर पहुंच जाएं।
100 करोड़- वैक्सीन के निर्माण के लिए लगने थे।
तीनों मदो का क्या हुआ यह समझते हैं।
मार्च 2020 में नोएडा की Agva नाम की एक कम्पनी को 10,000 वेंटिलेटर बनाने का ठेका दिया।
कंपनी के पास इससे पहले हाई-एंड वेंटिलेटर बनाने का कोई अनुभव नहीं। फिर भी 166 करोड़ का ठेका और 20 करोड़ एडवांस दे दिया।
16 मई को पहले क्लिनिकल ट्रायल में वेंटिलेटर फेल। 1 जून 2020 को दूसरे क्लिनिकल ट्रायल में भी फेल।
Agva के अलावा दो कंपनियो को भी ठेका मिला था।
पहली थी आंध्र सरकार की कंपनी AMTZ. दूसरी गुजरात की निजी कंपनी ज्योति CNC। दोनों के पास हाई- एन्ड वेंटीलेटर बनाने का कोई अनुभव नहीं।
ज्योति CNC को 5000 वेंटिलेटर बनाने का ठेका 121 करोड़ में और AMTZ को 13,500 वेंटिलेटर का ठेका 500 करोड़ में मिल गया।
अगस्त 2020 में एक RTI के जवाब में हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा कि इन दोनों कंपनी के वेंटिलेटर क्लीनिकल ट्रायल में फेल हो गए हैं।
इसके बाद इस सरकारी कम्पनी HLL के मार्फ़त 13,500 वेंटिलेटर के ठेके को घटाकर 10,000 कर दिया गया। नया ठेका मिला चेन्नई की कंपनी Trivitron को।
3000 एडवांस और 7000 बेसिक वेंटिलेटर के लिए Trivitron को 373 करोड़ रुपए देने की बात तय हुई।
Trivitron ने वेंटिलेटर बनाए। लेकिन AMTZ और HLL के बीच टेंडर वापिस लेने को लेकर बात उलझ गई। इस पचड़े में Trivitron को डिस्पैच ऑर्डर नहीं मिला। ऐसे में एक भी वेंटिलेटर सप्लाई नहीं हुआ।
PM Cares फंड का दूसरा बड़ा मद था प्रवासी मजदूरों के लिए। कहा गया कि श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन का किराया PM cares भुगतेगा।
इसके अलावा राज्यों को भी पीएस दिया जाना था ताकि वो प्रवासी मजदूरों के आईशोलेशन की कायदे से व्यवस्था कर पाएं।
कुल 1000 करोड़ खर्च करने की बात थी।
चीफ लेबर कमिश्नर ने एक RTI के जवाब में कहा कि उन्हें नहीं मालूम है कि ऐसी कोई रकम प्रवासी मजदूरों की सहायता के जारी हुई है।
4 मई 2020 को रेल मंत्रालय ने साफ किया कि वो प्रवासी मजदूरों के टिकट पर 85 फीसदी की छूट दे रहे हैं। बाकी का 15 फीसदी राज्यों को भुगतना होगा।
इसके अलावा रेल मंत्रलाय ने 151 करोड़ रुपए PM cares में जमा भी करवाए।
अब सवाल यह है कि प्रवासी मजदूरों के लिए आवंटित 1000 करोड़ गए कहाँ? दूसरा वेंटिलेटर बनाने के लिए ठेके किस आधार पर दिए गए? कुल कितने वेंटिलेटर सप्लाई हुए। उसमें से कितने काम आ रहे हैं?
लेकिन आपको इनमें से एक भी सवाल का जवाब नहीं मिलेगा। पता है क्यों? क्योंकि PM Cares फंड ना तो RTI के दायरे में आता है और ना ही CAG इसका ऑडिट कर सकता है।
यह तो पूछा ही जाना चाहिए कि आखिर PM Cares फंड का हुआ क्या? कहीं मंदिर बनाने में तो नहीं खप गया।
(ये लेख पत्रकार विनय सुल्तान के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है।)