मीडिया किस प्रकार यह तय करता है कि आपकी प्राथमिकता क्या रहे। यह ग्राफ इस बात का अच्छा उदाहरण है। ज़्यादा नही बस आप साढ़े 5 महीने पहले मार्च के मध्य हिस्से को याद करे आपको कोरोना के नाम पर मीडिया ने किस कदर भयाक्रांत कर दिया था।
आप जानते हैं आज पिछले 24 घण्टे में कितने केस आए है? आज 77 हजार 266 केस है कोरोना के यह लगातार तीसरा दिन है जब कोरोना के 76 हजार से ज्यादा केस है।
लेकिन जिस दिन देशव्यापी लॉक डाउन का एलान किया गया उस दिन 24 घण्टे में मात्र 51 केस आए थे।
लेकिन आप लोग उस दिन भय से कांप रहे थे क्योकि मीडिया आपको लगातार इटली ओर चीन में हुई 8 -10 हजार मौतो के आंकड़े को बार बार दिखा रहा था और आज जब लॉक डाउन फेल हो गया है तो पिछले एक महीने से मीडिया सुशान्त सिंह की मौत को सुबह शाम दिखाकर आपको उसमे उलझा रहा है।
उस वक्त कनिका कपूर टारगेट थी आज रिया चक्रवर्ती टारगेट पर है, मीडिया अपनी सहूलियत के हिसाब से टारगेट चुन लेता है।
अब यह ओपन ट्रूथ है कि हमारा मीडिया सरकार के इशारे पर काम करता है तो इसका मतलब यही है कि मार्च के मध्य में कोरोना का पैनिक सरकार के कहने पर ही फैलाया गया
ताकि आप दुनिया के सबसे कड़े ओर लम्बे चलने वाले लॉक डाउन के लिए तैयार हो जाए और कोई सवाल न उठाए और आज जब सरकार कोरोना से निपटने में फेल हो गयी तो आपको सुशान्त सिंह केस के नाम पर नया झुनझुना पकड़ा दिया है कि बजाते रहो बेवकूफों।