ज़ीरो से नीचे होता है माइनस। सितंबर माह का कोर सेक्टर का आउटपुट माइनस 5.2 प्रतिशत रहा है। पिछले साल सितंबर में 4.2 प्रतिशत था। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय का डेटा है। आठ सेक्टर को मिलाकर कोर सेक्टर कहा जाता है। 14 साल में इतना ख़राब प्रदर्शन कभी नहीं रहा। मतलब भारत में आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प होती जा रही हैं।

हिन्दी प्रदेश की जनता को कश्मीर और मंदिर के नाम पर बेवक़ूफ़ बनाने का यही फ़ायदा है कि लोग इसकी परवाह नहीं करेंगे कि साढ़े पाँच साल बाद भी आर्थिक मोर्चे पर सरकार फ़ेल क्यों हैं। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद मूर्खों की जमात मुझी से पूछेगी कि नकारात्मकता कहाँ से लाता हूँ जबकि यह निगेटिव डेटा भारत सरकार का है।

इस सरकार के मुखिया पत्रकारों की जासूसी करवाते हैं और कलाकारों को इंटरव्यू देते हैं : रवीश कुमार

फर्टिलाइज़र को छोड़ कोयला उत्पादन, स्टील, प्राकृतिक गैस, सीमेंट, रिफ़ाइनरी, बिजली उत्पादन सब निगेटिव यानि माइनस में तरक़्क़ी कर रहे हैं। उर्जा का उपभोग कम हो गया है। माँग नहीं है। फ़ैक्ट्री बंद होगी तो बिजली की माँग नहीं होगी। नौकरी नहीं होगी। सैलरी नहीं होगी।

जिस तरह से अर्थव्यवस्था के आँकड़े माइनस में आने लगे हैं एकदिन मोदी जी ख़ुद ही नारा दे देंगे कि मोदी है तो माइनस है। और समर्थक ताली बजाएँगे। बेरोज़गार होकर भी गाएँगे कि हाँ हाँ मोदी है तो माइनस है।

( ये लेख रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

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