व्हाट्सएप ने दावा किया है कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके भारत के कई पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई। भारत में जिन लोगों की जासूसी की गई है उनमें से 17 लोगों के नाम भी सामने आए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक, इनमें से ज़्यादातर ने व्हाट्सएप ने दावे की पुष्टी करते हुए बताया कि उनके पास ये मई के महीने में संदेश आया था कि उनके उनपर स्पाईवेयर पेगासस के ज़रिए निगरानी रखी जा रही है। संदेश में उन्हें सतर्क रहने की सलाह दी गई थी।

व्हाट्सएप के मुताबिक, इसराइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी NSO ने अपने स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल भारत में इसी साल मई के महीने में लोकसभा चुनाव के दौरान किया। इसके जरिए भारत के कई पत्रकारों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गयी।

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इस ख़ुलासे के सामने आने के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया है। विपक्षी नेताओं से लेकर पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता तक इस मामले को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हो गए हैं। अब पत्रकार रवि नायर ने भी इसपर प्रतिक्रिया देते हुए ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “फोन कॉल हैक हो जाते हैं, मेल हैक हो जाते हैं, व्हाट्सएप हैक हो जाता है, परमाणु रिएक्टर हैक हो जाता है, बैंक हैक हो जाते हैं, डेबिट/क्रेडिट कार्ड क्लोन हो जाते हैं..। लेकिन भारतीय ईवीएम और वीवीपीएटी सुरक्षित हैं!” 

ग़ौरतलब है कि एनएसओ पर स्पाईवेयर पेगासस के ज़रिए करीब 1,400 यूज़र्स के निजी डाटा को चुराने का आरोप है। व्हाट्सएप ने हैकिंग की पुष्टि करते हुए इजरायली जासूसी कंपनी के खिलाफ़ मुकदमा भी दर्ज करा दिया है।

पेगासस को एनएसओ ने सरकारों के लिए बनाया है। इसका इस्तेमाल कोई आम आदमी नहीं कर सकता। ऐसे में ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि इसे भारतीय पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए किसने इस्तेमाल किया? सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी मई के महीने में की गई, जिस वक्त भारत में लोकसभा चुनाव हो रहे थे।

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