क्या वाक़ई ऐसा होगा ? कोई पचास साल का कर्मचारी होगा, यह ख़बर देख कर ही चाय की प्याली मेज़ पर रख देगा। मुझे लगता है कि सभी पचास साल वालों को नहीं निकाला जाएगा। स्क्रीनिंग भर के लिए उम्र सीमा रखी गई होगी।

जो अच्छा काम कर रहे हैं, जो कि ज़्यादातर कर ही रहे हैं, तभी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दावा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश देश का नंबर वन प्रदेश बनने जा रहा है, उन्हें चिन्ता नहीं करनी चाहिए।

अगर सरकारी कर्मचारी जी जान से काम नहीं कर रहे होते तो क्या यह मुमकिन होता? सौ दिनों में योगी जी इतने सारे दावे कर पाते?

इसका मतलब ही है कि सरकारी कर्मचारियों ने कम पैसे में ज़्यादा काम करने का रिकार्ड तोड़ दिया होगा। ख़ूब काम किया होगा।

योगी सरकार 100 दिन पूरे होने पर अपने काम गिना रही है और उसी दिन यह आदेश निकले तो मनोबल पर अच्छा असर नहीं पड़ेगा। समय समय पर कार्यक्षमता की जाँच एक रूटीन प्रक्रिया है। इसलिए घबराने की ज़रूरत नहीं है।

फिर भी इस ख़बर से यह आशंका पैदा होती है कि सरकार ज़्यादा लोगों को निकालना चाहती है तो यही गुज़ारिश होगी कि ऐसा न करे।जिनका काम अच्छा नहीं है, उन्हें ट्रेनिंग दे। प्रोत्साहित करे।

ज़बरन रिटायर कराने पर समाज में बहुत बदनामी होगी। किसी की नौकरी पर संकट आता है तो मैं भावुक हो जाता हूँ। तो जो पचास साल के हो चुके हैं,

अपने काम में सुधार शुरू कर दें।मैं उन लोगों में से हूँ,जो मानता है कि सरकारी कर्मचारी काम बहुत करते हैं। उनकी सुविधाएँ घटती ही जा रही हैं और काम बढ़ता ही जा रहा है।

योगी जी, प्लीज़ ये सब न करें। जो भी पचास साल का है और काम संतोषजनक नहीं है तो एक मौक़ा ज़रूर दें।

अगर किसी को रिटायर भी करना है तो सरकार उसे स्मार्ट फ़ोन ज़रूर दे ताकि व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी में मीम की सप्लाई कम न हो। नौकरी रहे न रहे, मीम रहना चाहिए ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here