टैक्स के पैसे से अमीर को और अमीर, ग़रीब को और ग़रीब बनाने का खेल है मुद्रीकरण

क्या आप जानते हैं कि कौन सी प्राइवेट कंपनी गैस पाइप लाइन बिछाने का काम करती है? जिसका इस क्षेत्र में अनुभव हो? इस क्षेत्र में सरकार से बड़ी कोई कंपनी नहीं है।

सरकारी कंपनी के अफ़सरों और कर्मचारियों ने दिन रात लगा कर इस देश में हज़ारों किलोमीटर गैस पाइप लाइन बिछाई। और अब इसे किन कंपनियों को दिया जाएगा?

क्या आप जानते हैं कि टेलीकॉम सेक्टर में कौन सी प्राइवेट कंपनी इस समय बेहतर हालत में है? वोडाफ़ोन भयंकर घाटे में है। एयरटेल भारती भी कई हज़ार करोड़ के घाटे में चल रही है। तो बच गई कौन कंपनी?

और यह जो कंपनी है जिसे अंत में BSNL का अपार संसाधन मिलेगा ये हमेशा सरकार के संसाधन से ही क्यों आगे बढ़ती है?

इस कंपनी का कोई एक उत्पाद बता दीजिए जिसमें सरकार की मदद न हो या जनता के पैसे से तैयार संसाधनों की भूमिका न हो। ज़ाहिर है उसी कंपनी को सब मिलेगा।

आप हिन्दू मुस्लिम और जाति में लगे रहिए। नौकरी ख़त्म हो चुकी है। है भी तो कम वेतन का। जिस पर आप किसी तरह से जी पाते हैं। और आप भूखे न मर सके इसलिए वापस यही सरकार जनता के पैसे से आपको सब्सिडी देती है।

मुफ़्त अनाज देती है। तीन लोग को देश की दौलत देकर बाक़ी 80 करोड़ ग़रीबों को अनाज पहुँचा कर आपके सामने सीना ठोकती है कि सबके खाते में अनाज और पैसा पहुँच रहा है।

जनता के जिस पैसे से अच्छे स्कूल और अस्पताल बनते, पेंशन मिलती उस पैसे से अमीर को और अमीर किया जा रहा है और उसी पैसे के छोटे से हिस्से को ग़रीब के खाते में 500-1000 डाल कर अहसान जताया जा रहा है।

पूंजीवाद में कहा जाता है कि यह सबको आगे बढ़ने का मौक़ा देता है। जब तक यह लोकतांत्रिक और पारदर्शी होता है तब तक तो मिलता है।

लेकिन जैसे ही कुछ लोग पर्दे के पीछे से सारी पूँजी पर क़ब्ज़ा कर लेते हैं यह क्रोनी पूंजीवाद हो जाता है।

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