गिरीश मालवीय

मोदी सरकार ने अपने 6 सालों में देश को बहुत ही बड़े कर्ज में डुबो दिया है। आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि इन 6 सालों में मोदी सरकार ने लगभग 50 लाख करोड़ का कर्ज लिया है जबकि 2014 तक देश के ऊपर कुल कर्ज मात्र 54.90 लाख करोड़ रुपए था.

यानी कि एक तरफ 67 सालों में 54.90 लाख करोड़ का कर्ज़। वही मोदी के 6 सालों में 50 लाख करोड़ का कर्ज़ ! जी हाँ यह बिल्कुल सच है।

कल बहुत महत्वपूर्ण खबर आयी है लेकिन बिके हुए मीडिया ने इस पर विश्लेषण करना उचित नही समझा।

कल खबर आयी कि केंद्र सरकार की कुल देनदारियां जून 2020 के अंत तक बढ़कर 101.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गयीं। जबकि साल भर पहले यानी जून 2019 के अंत में सरकार का कुल कर्ज 88.18 लाख करोड़ रुपये था।

यानी एक मोटा हिसाब लगाए तो हर महीने एक लाख करोड़ से भी अधिक का कर्ज मोदी सरकार देश की जनता पर चढ़ाती आ रही है। अगर इस हिसाब से देखे तो जुलाई-अगस्त-सितम्बर में हम पर तीन लाख करोड़ का कर्ज़ ओर चढ़ गया है।

सरकार का जून अंत तक कर्ज 101.3 लाख करोड़ है इसमे तीन महीने का तीन लाख करोड़ ओर जोड़ दे तो यह फिगर 104 लाख करोड़ से ज्यादा हो जाता है।

2014 में जब जून अंत तक के फिगर आए थे तब यह कर्ज़ 54.90 लाख करोड़ रुपए था यानी लगभग सीधे 50 लाख करोड़ का कर्ज सिर्फ पिछले 6 सालों में मोदी जी ने हमारे माथे मांड दिया है।

हम सभी जानते है कि देश की बहुमूल्य मुद्रा का सबसे बड़ा इस्तेमाल कच्चे तेल की खरीद में जाता है लेकिन इस मामले में तो मोदी बहुत ही नसीब वाले रहे हैं।

2014 में उनके चुने बाद कच्चे तेल के दाम लगातार नीचे जाते रहे 2018 में जरूर कुछ बढ़े थे लेकिन ओवर आल देखा जाए तो कच्चे तेल की खरीद में मोदी सरकार को बहुत फायदा हुआ है तो फिर इतना अधिक कर्ज कौन से खर्च को निपटाने में निकल गया? जबकि पेट्रोल डीजल पर मोदी सरकार ने बेतहाशा एक्साइज ड्यूटी बढाई है।

यह लोग न्यू इंडिया बनाने की बात करते है। बताइये! ऐसे बनाया जाएगा न्यू इंडिया? देश को कर्ज में डुबोकर ?

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