कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने किसान विरोधी कृषि बिल को बिना वोटिंग संसद में पास किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि धीरे-धीरे अब यह सरकार तानाशाही की तरफ जा रही है।
जिसका अनुभव हमने संसदीय कार्यवाही के दौरान किया। इस दौरान सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ा दी।
सदन में जिस तरह से प्रतिपक्ष को बोलने का मौका देना चाहिए। संसद में सिर्फ सत्तापक्ष की नहीं। बल्कि प्रतिपक्ष की आवाज भी संसद में गूंजनी चाहिए।
सिर्फ एक तरफा रवैया रख कर संसद में बहस नहीं हो सकती। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की बात संसद में सुनी जानी जरूरी है। लेकिन सदन में सरकार का ऐसा रवैया रहा कि प्रतिपक्ष की बात सुनी ही नहीं जानी चाहिए। हालांकि जिस मुद्दे पर बहस हो रही थी। वो बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा था।
इस दौरान कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार द्वारा लाया गया एग्रीकल्चर बिल न तो किसानों के हित में है और ना ही राज्य सरकारों के हित में है। इसके अलावा यह एग्रीकल्चर बिल देश के गरीबों और श्रमिकों के लिए भी घातक है।
संसद में विपक्ष ने सरकार के खिलाफ इस बिल को लेकर अपनी आवाज उठाने की कोशिश की है। विपक्ष ने सदन में किसानों और देश के गरीब वर्ग के लिए आवाज उठाई थी।
कांग्रेस का कहना है कि इस बिल के हानिकारक प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं। बल्कि राज्य स्तर पर, जिला स्तर पर और ग्रामीण स्तर तक जाएंगे। इस किसान विरोधी बिल और सरकार की तानशाही के खिलाफ लड़ेंगे।
आपको बता दें कि राज्यसभा में यह कृषि बिल बिना वोटिंग के ही पास कर दिया गया है। जिसके चलते विपक्षी दलों के निलंबित सांसद धरने पर बैठे हैं।