एक और मरकज मिला है लेकिन कोरोना की शुरुआत में चिल्ला चिल्ला कर जमाती शब्द को कुख्यात बना देने वाला हमारा मीडिया आंध्रप्रदेश पुलिस की इस रिपोर्ट पर बिलकुल चुप्पी साध कर बैठ गया है।
आंध्र प्रदेश पुलिस की एक रिपोर्ट में तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर को बंद करने की मांग की गई है, क्योंकि उसका कहना है कि इलाक़े में कोविड-19 फैलने का ‘एकमात्र कारण’, 8 जून को मंदिर का दोबारा खुलना था।
तिरुपति के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) क़ानून व्यवस्था, मुन्नी रामैया की रिपोर्ट में कहा गया है, कि मंदिर को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि वो ‘आवश्यक सेवाओं’ की श्रेणी में नहीं आता. रिपोर्ट के अनुसार इलाक़े में वायरस फैलने की वजह ‘मंदिर को 8 जून को फिर से दर्शन के लिए खोलना था ’।
लेकिन अब कोई कुछ नहीं बोलेगा क्योकि मामला बहुसंख्यको के धर्म का है न! अब अरनब की, सुधीर चौधरी की, अंजना ओम कश्यप की जुबानो पर ये लम्बे लम्बे ताले लटक जाएंगे।
पूछता है भारत-
क्या तिरुपति के जमाती कोरोना फैलाने के जिम्मेदार नहीं है?
पूछता है भारत-
क्या तिरुपति मंदिर को खोल कर कोरोना का मरकज बना देने के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार नहीं है?
पूछता है भारत-
जब देश में कोरोना बढ़ रहा है तो मंदिरो को कम्युनिटी ट्रांसमिशन का केंद्र क्यों बनाया जा रहा है? जवाब दीजिए।