दानिश सिद्दीक़ी दुनिया में कुछ अलग करने आये थे। उनकी आंखें वो ढूढ़ लेती थी जो दूसरा देख नहीं पाता था। एक तस्वीर एक किताब जैसी। जिंदा तस्वीरे, बोलती तस्वीरे।

संघी उनसे इसलिए चिढ़ रहे हैं क्योंकि उन्होंने कभी मोदी का माँ हीराबेन के हाथों ढोकला खाते फ़ोटो नहीं लिया। गाय को चारा देते योगी का फोटो नहीं लिया।

उनकी बोलती तस्वीरों में हाल में कंधार में एक अफगान सैनिक नाईट टाइम मिशन में. लॉकडाउन में शहर छोड़ते कंधे पर बच्चे को बिठाए मजदूर। दिल्ली के एक बड़े कोविड हॉस्पिटल में एक बेड पर ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए जिंदगी मौत से संघर्ष करते एक जवान, एक अधेड़।

हॉस्पिटल के बाहर पिता के कोविड से मौत के बाद भाई- बहन माँ लिपटकर फफक-फफककर रोते हुए। बच्चे को एक हाथ में लिए नदी पार करते रोहिंग्या समुदाय का एक बुजुर्ग।

नदी के तट पर ही जिंदगी के थकी हारी एक रोहिंग्या महिला जो नाव से म्यांमार, बांग्लादेश सीमा पार कर तट को छू रही है। कोविड ड्यूटी से चूर पीपीई किट पहने एक स्वास्थ्य कर्मी।

दिल्ली दंगो में एक मुस्लिम युवा को घेरकर मारते बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के लोग। शमशान घाट पर सैकड़ों की संख्या में कतार से जलते कोरोना से मृत हिन्दू समुदाय के लोगों के शव। मोक्ष गृह में अंतिम पलों में दादी से लिपटा युवक।

एनआरसी, सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बंदूक ताना एक युवक। एनआरसी, सीएए कानून का विरोध करती जनता। कश्मीर का दर्द। नार्थ कोरिया के एक सैनिक की तस्वीर। इराक मोसुल में आईएस से संघर्ष के दौरान की तस्वीरे।

अफगानिस्तान की तस्वीरे। कोरोना के मरीज़ को गंभीर हालात में ले जाते पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में उनके परिजन। इसके अलावा तिरंगे की शानदार तस्वीर. पानी के एक-एक बूंद को संघर्ष करती ग्रामीण महिलाएं और युद्धभूमि पर उनकी खुद की तस्वीर।

दानिश आप असाधारण थे, हमेशा उन जगहों पर होते थे, जहां आपको होना चाहिए था। बिना जान की परवाह किये आपकी खींची तस्वीरों ने आपको पुलित्जर से नवाजा।

आप एक महान फोटोग्राफर थे। आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे, हम आपकी तस्वीरों के सहारे आपको हमेशा जिंदा रखेंगे। सलाम दोस्त। अल्लाह आपको जन्नत नसीब करें।

(ये लेख विक्रम सिंह चौहान के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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