केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के शासनकाल में भारत के सरकारी संस्थानों का निजीकरण बहुत ही तेजी से किया जा रहा है।

हाल ही में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र 2021-22 के दौरान एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया था। एलआईसी भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के तौर पर जानी जाती है।

इससे पहले किसी भी सरकार में सरकारी संस्थानों का इतने बड़े स्तर पर निजीकरण नहीं किया है। अब खबर सामने आ रही है कि सरकार ने एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।

इस संदर्भ में मर्चेंट बैंकरों और विधि सलाहकारों से आईपीओ के बारे में परामर्श माँगा जा रहा है।

बताया जाता है कि निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग इस संदर्भ में 10 मर्चेंट बैंकरों और एक विधि कंपनी की नियुक्ति करने वाला है। जिसके लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख 6 अगस्त निर्धारित की गई है।

बीते हफ्ते ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एलआईसी के आईपीओ को मंजूरी दी थी। देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बनाई गई एक समिति निर्गम आकार, मूल्य निर्धारण और समय जैसे तौर-तरीकों का फैसला करेगी।

इस मामले में कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए तंज कसा है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “BJP का नाम बदल ‘बेच जाओ पार्टी’ होना चाहिए 70 साल में जो बनाया, 7 सालों में बेच रहे।”

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने इस फैसले से एलआईसी के 25 करोड़ ग्राहकों की चिंता बढ़ाने का काम किया है। दरअसल सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।

भारत का मध्यमवर्गीय तबका एलआईसी में निवेश को सबसे सुरक्षित मानता है। यही कारण है कि एलआईसी की पॉलिसी को लोग बिना सोचे समझे खरीदने में विश्वास रखते हैं। मोदी सरकार द्वारा लिया गया फैसला अब एलआईसी में निवेश कम भी कर सकता है

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