देश के व्यापार को बर्बाद कर रख देने वाले GST के तीन साल पूरे हो गए ! आश्चर्य की बात है कि बीजेपी ने कोई जश्न नही मनाया ? जैसे मोदी जो हर बार रात 8 बजे देश के नाम संबोधन देने के लिए जाने जाते थे वे इस बार 4 बजे आए। यह इस बात का संकेत था कि 2016-17 में जो जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत थी वह अब 2020 में 4 प्रतिशत रह गयी है, यह बड़ा कमाल हमने जीएसटी की ही तो बदौलत हासिल किया है।

जब जीएसटी लागू हुआ था तो उम्मीद की गई थी कि 2020 तक प्रति महीने 1.5 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन होगा. लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद हर महीने कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये के आसपास ही रहता है. कोरोना काल को तो आप छोड़ ही दीजिए।

सबसे बड़ी बात जो इनपुट टैक्स क्रेडिट का इनवॉइस से मिलान की हुई थी वह तीन साल पूरे होने भी नहीं हो पा रहा है। ओर यह मैं नही कह रहा हूँ यह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक हालिया रिपोर्ट में लिखा गया था।

जब जीएसटी लागू किया गया तो यह बात साफ थी कि राज्यों के revenue में गिरावट आएगी| तब सभी राज्यों से जी एस टी पर सहमति लेने के लिए केंद्र की ओर से कहा गया कि जी एस टी लागू होने से राज्यों के रेवेन्यू कलेक्शन में जो गिरावट आएगी केंद्र सरकार अगले पाँच साल तक उसका क्षतिपूरण करेगी।

और अब केंद्र सरकार ने अपनी लाचारी जाहिर करते हुए राज्यों को चिठ्ठी भेज दी है कि उसके पास पैसे ही नहीं हैं| उल्टे उसने राज्य सरकारों से सुझाव माँगा है कि बताएँ कि जी एस टी से कर संग्रहण कैसे बढ़ाया जाए| बेचारे राज्यों के पास पेट्रोल डीजल पर टैक्स बढ़ाने के अलावा अपने खर्च चलाने का ओर कोई रास्ता नही बचा है केंद्र सरकार 6 -6 महीने पीछे चल रही हैं उनका वाजिब हक देने से।

लिखने को बहुत कुछ है लेकिन छोड़िए, सुब्रमण्यम स्वामी की ही बात याद आती जो उन्होंने 2017 में जीएसटी।लागू करते वक़्त कही थी कि यह भारत के लिए वाटरलू साबित होगा तीन साल बाद उनकी बात को हम सच साबित होता देख रहे हैं।

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