आर्थिक दुर्दशा की रोज नई तस्वीर सामने आ रही है। नई खबर यह है कि देश मे बिजली की मांग घट गई है, जिसके चलते 133 थर्मल पॉवर बंद हो गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी है कि 11 नवम्बर तक 162 यूनिट कोल, लिग्नाइट और न्यूक्लियर यूनिट अलग अलग कारणों से आउट ऑफ सर्विस हैं, इनमें से करीब आधे यानी 133 यूनिट मांग घटने के कारण बंद हो गए हैं।

कहा गया है कि 7 नवम्बर तक पूरे देश की उत्पादन क्षमता की करीब आधी डिमांड रह गयी है। उत्तरी पश्चिमी भारत मे मांग घटने के कारण 119 प्लांट बंद हो गए हैं।

बिजली की मांग कहाँ कम हुई। जाहिर है कि घरों में यह मांग आंशिक घटी होगी। यह औद्योगिक बर्बादी का नतीजा हो सकता है। जब देश की रीढ़ कहे जाने वाले छोटे उद्योग चौपट हो गए तो बिजली की मांग घटेगी ही।

कल खबर आई थी कि उपभोक्ता ख़र्च 40 साल में सबसे कम हो गया है। यानी लोगों की खर्च करने की क्षमता घट गई है। दूसरे शब्दों में कहिये कि गरीबी बढ़ गई है।

ख़ुलासाः 45 साल में पहली बार लोगों के पास नहीं है खर्च के लिए पैसे! सरकार ने छुपाई NSO रिपोर्ट

2011-12 में एक महीने में एक उपभोक्ता 1501 रुपये ख़र्च करता था। 2017-18 में एक महीने में एक उपभोक्ता का ख़र्च घटकर 1446 रुपये हो गया। यह डेटा नेशनल सैंपल सर्वे NSO का है।

इसका मतलब है कि लोगों की कमाई घट गई है और ग़रीबी बढ़ गई है।

मजे की बात है कि हिंदी अखबारों से यह खबरें गायब हैं। एनबीटी ने पहली खबर छापी है कि अमित शाह ने कहा है कि अर्बन नक्सलियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

अगली महान खबर यह है कि दिल्ली में अब सांसें बिकनी शुरू हो गई हैं। साकेत में ऑक्सी प्योर नाम का ऑक्सीजन कैफे खोला गया है जिसमे साफ हवा की बिक्री शुरू हो गई है। 15 मिनट की साफ खुशबूदार हवा के लिए आपको 299 से लेकर 499 रुपये चुकाने होंगे।

अगर यह खबरें आपको अच्छी लगी हों तो मोदी जी की दस लाख के सूट वाली फ़ोटो कमरे में लगा लें, सुबह शाम अगरबत्ती सुलगाया करें। वैसे मंदी के दौर में गौतम गंभीर की जलेबी और पोहा वाली फ़ोटो से भी काम चल जाएगा।

( ये लेख कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here