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Ramgopal Yadav

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए कोटा और आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्यों को कोटा प्रदान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और राज्यों को सार्वजानिक सेवा में कुछ समुदायों के प्रतिनिधित्व में असंतुलन दिखाए बिना ऐसे प्रावधान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। इस फैसले से एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग प्रभावित होगा।

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कोर्ट के इस फैसले के पीछे बीजेपी सरकार का हाथ होने का आरोप लगाकर एक सुर में राजनीतिक दल इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और कांग्रेस, सपा, आरजेडी समेत कई दलों के नेता तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने इस फैसले पर कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के खिलाफ है।”

बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी ने अपने ट्वीट में मोदी सरकार को सड़क से लेकर संसद तक के संग्राम करने की चेतावनी दी है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) के पद में पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण से संबंधित मामलों को एक साथ निपटाते हुए यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया।

साल 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट में पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि, “क्रीमी लेयर को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है।” बता दें कि पिछले साल दिसम्बर में केंद्र सरकार ने 7 न्यायधीशों वाली पीठ से इसकी समीक्षा करने का अनुरोध किया था।

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