बीते साल केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन किए गए थे। इस दौरान देश के कई सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी भी विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा बने।
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध करने वाले कई लोगों की गिरफ्तारियां भी की गई। जिनमें से एक नाम है डॉ कफील खान।
दिल्ली की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एनआरसी और सीएए के खिलाफ आयोजित किए गए समारोह में डॉ कफील खान द्वारा कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में उन्हें योगी सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
डॉ कफील खान को एनएसए के तहत मथुरा जेल में 7 महीने तक बंद रखा गया। इस दौरान उन्होंने मानसिक तौर पर प्रताड़ित भी किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को उन्हें तुरंत रिहा करने के आदेश जारी किए। 2 सितंबर को डॉ कफील खान जेल से बाहर आ गए।
जिसके खिलाफ योगी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा डाली गई इस याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हाई कोर्ट की टिप्पणी अपराधिक मामलों को प्रभावित नहीं करेगी।
इस मामले का निपटारा सुप्रीम कोर्ट की मेरिट के आधार पर होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर डॉ कफील खान का कहना है कि उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा था और उन्हें न्याय दिया गया है।
डॉ कफील खान ने ट्वीट कर कोर्ट के फैसले पर ख़ुशी जाहिर की है। उन्होंने लिखा है कि “सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका जो मेरे रासुका के तहत मेरे हिरासत को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी उसको ख़ारिज कर दिया।
मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा था मुझे न्याय मिला. आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया/ धन्यवाद / Thank you .अल्हमदुलिल्लाह। जय हिंद जय भारत”