साल 2014 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत से भ्रष्टाचार खत्म करने और विदेशों में पड़े काले धन को वापस लाने का दावा किया था। आज तक जिसमें पीएम मोदी कामयाब नहीं हो पाए हैं।
विदेशों में पड़ा काला धन दोगुना हो चुका है। तो वहीं भारत में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। खास तौर पर भाजपा के शासनकाल में ही कई बड़े घोटालों को अंजाम दिया गया है।
अब एक और बड़े घोटाले की खबर सामने आई है। बताया जाता है कि ग्रामीण विकास विभाग के तहत सामाजिक लेखा परीक्षा इकाइयों ने मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में बीते 4 सालों के अंदर 935 करोड रुपए का घोटाला पाया है।
बता दें, मनरेगा के तहत ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार दिया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 से लेकर साल 2021 तक सिर्फ 12.5 करोड रुपए की ही भरपाई हो पाई है।
दरअसल एसएसयू द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की दो लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतों में बीते 4 सालों में ऑडिट किया गया है।
जिसमें पाया गया है कि केंद्र सरकार ने साल 2017-18 में मनरेगा के लिए 55,659.93 करोड़ की राशि जारी की थी। साल 2017 से लेकर साल 2021 तक इस राशि में बढ़ोतरी हो रही है।
साल 2021 में इस योजना पर जो खर्च हुआ है। वो राशि 1,10,355.27 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। एसएससीयू द्वारा किए गए ऑडिट में कई वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं।
जिनमें फर्जी लोगों और सामान के फर्जी विक्रेताओं को उच्च दामों पर भुगतान करना और रिश्वत देकर काम करवाना शामिल है। यह वित्तीय गड़बड़ियां सबसे ज्यादा तमिलनाडु में हुई है।
इसके बाद कर्नाटक, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और झारखंड का नाम है। इस संदर्भ में केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने यह पूछा है कि राज्य ग्रामीण विकास विभाग में भरपाई इतनी कम क्यों हुई है।