अभी कुछ दिन पहले दिल्ली की जिला अदालतों में वकीलों ने दिल्ली पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था। तब दिल्ली पुलिस अपने ‘मानवाधिकार’ का रोना रो रही थी। बोल रही थी आखिर हम भी इंसान हैं, हमारा स्वाभिमान है। वकीलों द्वारा दिल्ली पुलिस की पिटाई पर JNU से लेकर पूरा समाज दिल्ली पुलिस के समर्थन में उतर आया था।

लेकिन सोमवार को सामान शिक्षा, फीस बढ़ोतरी समेत तमाम शिक्षा के अधिकारों को लेकर प्रदर्शन कर रहे JNU छात्रों को इसी दिल्ली पुलिस ने ही बर्बरतापूर्वक लाठियों से पीटा! कथित मानवाधिकार की बात करते वाली दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे जेएनयू के एक ‘दृष्टिहिन’ छात्र शशिभूषण पांडेय को पीटकर सारी हदों को पार कर दिया है।

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पुलिस ने दृष्टिहिन छात्र शशिभूषण को इतना मारा की उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। शशिभूषण ने खुद आपबीती सुनते हुए कहा कि, “मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं मुझे क्यों मार रहे हो? तो पुलिस ने कहा ब्लाइंड है तो प्रोटेस्ट में क्यों आता है? फिर पुलिस वाले मुझे लाठी डंडे लात जूतों से मारने लगे।”

शशिभूषण ने बताया कि, “न्यू एजुकेशन पालिसी के तहत जिस तरह से देश में फीस वृद्धि हो रही है, इसी के तहर जेएनयू 22 दिन से प्रोटेस्ट का हिस्सा रहा है। लगातार हम प्रोटेस्ट कर रहे थे, कल हम शान्तिपूर्व प्रोटेस्ट करते हुए पार्लियामेंट जाने की कोशिश में थे। पुलिस ने बहुत जगह लाठीचार्ज करके हमें रोकने की कोशिश की।”

“जोर बाग में जब पुलिस ने बर्बरता से लाठी भांजना शुरू किया तो मैं और मेरे कई साथी वहां से भागे। चेन बनाकर मुझे कई लोगों ने बचाने की कोशिश की कि मैं न पिटूं। लेकिन जो चेन में लोग थे उन्हें बहुत मारा गया। मैंने उन पुलिस वालों से कहा कि भाई मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं मुझे मत मारो। इसपर पुलिस ने कहा, इसे किनारे कर दो।”

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“इसके बाद एक पुलिस वाले ने मुझे लाठी से दो-तीन डंडे मारे। फिर एक पुलिस वाले ने मुझे पकड़कर पटका जब मैंने कहा मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं तो पुलिस वाले ने कहा, ब्लाइंड है तो प्रोटेस्ट में क्यों आता है? ये बोलते हुए 4-5 पुलिस वाले मेरे सीने पर पैर रख दिया, मुझे जूते से मारा। मेरे पेट और सीने पर चढ़ गए और मेर गले पर जूते से मारा।

इसके बाद मुझे खड़ा करके उन्होंने कहा भाग यहां से। जब मैं वहां से भागा तो पुलिस वालों ने पीछे से मेरे पैर पर लाठी मारी। मैं अपने साथी का कंधा पकड़े हुआ था और वहीं गिर गया, उसके बाद मेरे साथी मुझे अस्पताल लेकर आए।”

जेएनयू के छात्र सोमवार को हजारों की तादात में संसद मार्च निकाल रहे थे। छात्र सांसदों से कहना चाह रहे थे कि आप गरीब छात्रों की आवाज़ संसद में उठाओ।

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