Samar Raj
भारत में विकास की गंगा उलटी दिशा में बह रही है। जहां एक तरफ महंगाई बढ़ती जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ रोज़गार और शिक्षा के स्तर में तेज़ी से गिरावट आ रही है।
देश में अब युवा के पास इंजीनियरिंग करने के भी कम अवसर बचे हैं। वर्ष 2021 में ही लगभग 63 इंजीनियरिंग संस्थानों के बंद होने की खबर आई है।
अनुमान है की इस साल करीब-करीब 1.46 लाख इंजीनियरिंग सीटों की कटौती हुई है।
दरअसल, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के डाटा के अनुसार स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा स्तर पर इंजीनियरिंग सीटों की संख्या घटकर 23.28 लाख हो गई है।
इसका मतलब पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 1.46 लाख इंजीनियरिंग सीटें कम हो गई हैं। पहले से ही महंगाई और बेरोज़गारी की मार झेल रहा देश, अब शिक्षा के मामले में भी पीछे जा रहा है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश के तकनीकी शिक्षा क्षेत्र का कुल 80 प्रतिशत हिस्सा अभी भी इंजीनियरिंग है। वो बात अलग है कि वर्ष 2014-15 में सभी एआईसीटीई एप्रूव्ड संस्थानों में इंजीनियरिंग शिक्षा की लगभग 32 लाख सीटें थीं।
अंतराष्ट्रीय स्तर के बेहतर संस्थान बनाने के बजाए अकेले इस वर्ष में ही पहले से बने 63 इंजीनियरिंग संस्थान बंद हो जाएंगे।
ध्यान देने वाली बात है कि, टाइम्स हायर एजुकेशन की लिस्ट में दुनिया के 50 सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से भारत का एक भी इंजीनियरिंग संस्थान नहीं है।
कहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल के जुलाई महीने में एक बैठक के दौरान स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग शिक्षा देने के महत्व पर जोर दे रहे थे, और कहाँ ज़्यादातर अंग्रेजी में पहले से पढ़ा रहे इंजीनियरिंग संस्थान ही बंद होने की कगार पर हैं ऐसे ‘न्यू इंडिया’ का विकास कैसे होगा?