
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश समेत अलग अलग पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. इस दौरान केंद्रीय चुनाव आयोग की जैसी कार्यशैली दिखाई दे रही है, वैसी भारत के इतिहास में शायद ही कभी दिखाई दी हो.
पिछले दिनों यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदन से ठीक पहले प्रधानमंत्री और भाजपा नेता नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लगातार कई चैनलों पर दिखाया गया.
ये पूर्ण रुप से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई होती हुई दिखाई नहीं दी. चुनाव आयोग इन साक्षात्कारों पर हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा. कोई एक्शन नहीं.
अब जब यूपी में दूसरे चरण का मतदान जारी है, वैसे में आज सुबह से सीएम योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू एएनआई प्रसारित कर रहा है.
एएनआई रात के दो बजे ट्वीट कर यह जानकारी सार्वजनिक करता है कि सुबह 8 बजे से योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू प्रसारित किया जाएगा.
चुनाव आयोग की निष्पक्षता अब संदेहास्पद हो चली है क्योंकि आज ही यूपी में दूसरे चरण की वोटिंग है और इस दौरान 55 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है.
इस मुद्दे पर देश के जाने माने पत्रकार एवं राजनीतिक समीक्षक प्रोफेसर दिलीप मंडल ने भी ट्वीट किया और कहा कि “केंचुआ यानी कि केंद्रीय चुनाव आयोग की मौत हो गई है. आइए, आज केंचुआ की याद में दो मिनट का मौन धारण करें.”
केंचुआ यानी केंद्रीय चुनाव आयोग की मौत हो गई है। आइए केंचुआ की याद में दो मिनट का मौन रखें। @ECISVEEP https://t.co/9sm3HBPAmz
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) February 14, 2022
आइए, अब हम आपको बताते हैं कि कैसे चुनाव आयोग की छवि संदेहास्पद बनती जा रही है. वर्ष 2017 में गुजरात विधानसभा के चुनाव चल रहे थे. राहुल गांधी उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उन्होंने किसी चैनल को अपना इंटरव्यू दिया.
चुनाव के दौरान ही इंटरव्यू प्रसारित हुआ. चुनाव आयोग ने इसे आदर्श आचार संहिता और चुनाव कानून का उल्लंघन माना और राहुल गांधी को कारण बताओ नोटिस थमा दिया.
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को नोटिस देकर कहा कि चार दिन के अंदर नोटिस का जवाब दिया जाए अन्यथा बिना आपको संदर्भित किए ही इस मामले का निर्णय किया जाएगा.
चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा था कि टीवी चैनलों पर चुनाव के दौरान साक्षात्कार जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126-3 के तहत आता है.
चुनाव के 48 घंटों के अंदर इस तरह के चुनाव मामलों के प्रदर्शन जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126-1- बी का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है.
इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने राहुल गांधी का साक्षात्कार करने वाले चैनलों को तत्काल प्रभाव से इंटरव्यू को रोकने का निर्देश दिया था लेकिन वही चुनाव आयोग अब पीएम मोदी और सीएम योगी के इंटरव्यू पर मुंह पर दही जमा कर बैठ गया है. ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं.