किसानों का सरकार और उनकी योजनाओं से भरोसा उठ चुका है। सरकार वादा कर के भूल जाती है लेकिन किसान नहीं भूलते क्योंकि उन्हें वादों से उम्मीद होती है। लेकिन जब उम्मीद टूटती है तो किसान सड़क उतरते हैं वादाखिलाफी करने वाली सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकते हैं।

महाराष्ट्र, यूपी और राजस्थान के बाद अब मध्य प्रदेश में भी किसान सड़कों पर उतर चुके हैं। जैसे महाराष्ट्र में किसान 200 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे वैसे ही मध्य प्रदेश के किसान 185 किलोमीटर चलकर सीएम शिवराज से मिलने पहुंचे हैं। लेकिन सत्ता के नशे में चूर शिवराज सिंह चौहान किसानों से नहीं मिले।

सागर जिले से 185 किलोमीटर पैदल चलकर किसान राजधानी भोपाल पहुंचे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्या सुनानी है। उनकी यह यात्रा 20 मार्च को सागर से शुरु हुई थी, लगातार 3 दिन चलने की वजह से किसानों के पैर छाले पड़ गए हैं, खून निकल रह है।

किसान सीएम शिवराज से मिलकर पूर्ण कर्जमाफी की मांग करना चाहते हैं लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान किसानों से मिलने नहीं आए हैं। पुलिस किसानों को लेकर अंबेडकर मैदान चली गई है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि उनके इलाके में बीते 3 सालों से ओलावृष्टि औऱ बेमौसम बारिश से नुकसान हो रहा है। इस नुकसान का मुआवजा उन्हें नहीं मिल पा रहा। इतना ही नहीं किसान भावांतर योजना से भी परेशान हैं।

किसानों के मुताबिक उन्हें सोयाबीन के भावांतर का पैसा अभी तक नहीं मिल पाया है। लिहाजा किसान भावांतर योजना को बंद करने की भी मांग कर रहे हैं।

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