यूपी विधानसभा चुनाव में जिस तरह से लोग बदलाव के पक्ष में मतदान कर रहे हैं, उसे देखते हुए मतगणना में गड़बड़ी या हेराफेरी की जा सकती है इसलिए विपक्षी दलों को चाहिए कि मतगणना कार्य पर गहन निगरानी बनाए रखें.

वर्ष 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. किस प्रकार से आरजेडी और कांग्रेस के कई उम्मीदवारों को थोड़े थोड़े से वोटों के अंतर से पराजित होना पड़ा था.

वहीं यूपी में पिछले दिनों हुए पंचायत चुनाव में भी बड़े पैमाने पर धांधली देखने को मिली थी.

कुछ ऐसा ही अंदेशा भारतीय किसान यूनियन के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत जता रहे हैं.

टिकैत ने कहा है कि मतगणना के दिन हेराफेरी कराई जा सकती है. इससे बचने के लिए राजनीतिक दलों के अभिकर्ताओं को एक दिन पूर्व ही मतगणना स्िलों पर पहुंचने की जरुरत है.

इस दौरान टिकैत ने कहा कि देश में बदलाव के लिए अब एक बड़े आंदोलन की जरुरत महसूस होने लगी है.

जाटलैंड बागपत के बड़ौत में दौरे पर पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि हमनें अपनी आंखों के सामने देखा है कि किस तरह से यूपी में जिला पंचायत चुनाव में क्या हुआ था ! हम इसे नजरअदांज नहीं कर सकते.

इससे बचने के लिए जरुरी है कि गिनती होने के एक दिन पूर्व ही मतगणना स्थलों पर पहुंच जाएं और मतगणना केंद्रों के बाहर ट्रैक्टर के साथ डेरा डाल दें.

राकेश टिकैत ने कहा कि 10 मार्च को गिनती होनी है. आप 9 मार्च को ही अपने कपड़े और बिस्तर के साथ मतगणना केंद्र पहुंच जाए.

राकेश टिकैत ने दावा किया कि मतगणना के दिन आम जनता को मतगणना केंद्र जाने की परमिशन नहीं मिलेगी.

टिकैत ने कहा कि किसानों की फसलों को भी डिजिटल इंडिया अभियान से जोड़ दिया जाना चाहिए, इससे हमारे गन्ने का भुगतान भी हो जाएगा.

हम जिस इलाके से आते हैं वहां पर एक साल से गन्ने की फसलों का भुगतान नहीं हुआ है लेकिन जब चुनाव आएं तो 10 से 15 दिन में भी भुगतान हो गया है.

मैं यहां बताना चाहता हूं कि सरकार जब चाहे फसलों का भुगतान करवा सकती है. अगर हर साल चुनाव हो तो भुगतान भी हर साल हो सकता है.

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