मध्यप्रदेश में भाजपा के 13 वर्षों के शासन में अब तक 15 हजार से ज्यादा किसानों ने गरीबी और कर्ज से तंग आकर मौत को गले लगा लिया है। राज्य में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा हर रोज बढ़ता ही जा रहा है, मगर प्रदेश के मुख्यमंत्री कह रहें है कि, “हम किसानों की मदद करते हैं।”
न्यूज़ 18 के ‘राइजिंग इंडिया समिट’ में बोलते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी सरकार को किसान हितैषी बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बंपर उत्पादन मध्य प्रदेश की बड़ी समस्या है। मध्यप्रदेश में फसलों के बंपर उत्पादन के कारण दाम कम हुए है।
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— News18Hindi (@HindiNews18) March 16, 2018
इसके आगे मुख्यमंत्री ने कहा, मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जो भावांतर योजना लेकर आया जिसमे ये तय किया गया कि किसनों को जो भी नुक्सान होगा उसका भुगतान सरकारी खाते से किया जायेगा और किसनों को घटे की खेती नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा कि, किसनों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने में मध्यप्रदेश काम कर रहा है।
जहां एक तरफ मुख्यमंत्री खुद को किसानों के मददगार बता रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उनके ही राज्य से रोज किसानों के आत्महत्या करने की खबर आती है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदेश सरकार कहीं किसानों को मरने में तो उनकी मदद नहीं कर रही?
मध्यप्रदेश के हर जिले, हर कस्बे में किसान की मौत को कर्ज का नाम देकर उसे बंद कर दिया जाता है।