राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने एक जाति विशेष की महानता बताते हुए एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है- ‘ब्राह्मण समाज भर नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति है।

ब्राह्मणों ने विश्वभर में सदा ही मनुष्यता का पाठ पढ़ाते हुए जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान की है। धार्मिक मूल्यों की उपादेयता की सीख किसी ने समाज को दी है तो वह ब्राह्मण है। ‘

जाति विशेष की खूबियों के साथ ही उसकी श्रेष्ठता को दिखाने वाले इस ट्वीट के बाद तमाम लोग नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं, इसे जातिवादी हरकत बता रहे हैं।

इसी क्रम में फेसबुक पर युवा पत्रकार मधुसूदन लिखते हैं-
‘संवैधानिक पद पर आसीन होकर राजस्थान के राज्यपाल पूर्व कैबिनेट मंत्री व इससे पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे कलराज मिश्र अपने पद की गरिमा व लोकतांत्रिक मूल्यों की बड़ी खूबी से निर्वहन कर रहे हैं . इनके ट्वीट्स को ध्यान से पढ़िए .

विश्व ब्राह्मण महासंघ द्वारा आयोजित आनलाइन गोष्ठी में इन्होंने भाग लिया . उसके तत्पश्चात ब्राह्मणों पर शोध कर इन्होंने जमकर ज्ञान दे डाला . दिक्कत इस बात से है कि एक संवैधानिक दर्जा प्राप्त पद पर यह व्याख्यान का कितना औचित्य है .

माननीय राज्यपाल का यह जाति प्रेम पहली बार नहीं जगा है . ये इससे पहले भी अपनी जातिवादी मानसिकता के लिए चर्चा में रहे हैं .

याद करिए नवंबर 2016 में वर्तमान उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम तबके बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष व पिछड़े वर्ग के बड़े नेता केशव प्रसाद मौर्य भरे मंच में कलराज मिश्र ने कई बार हाथ पकड़ने के बावजूद हाथ झटक दिया था.

वहीं केशव प्रसाद अपनी तरफ से एक मुस्कान भी पेश की पर मिश्रा जी तब भी बौंहे हयचे रहे. बाद में कई बीजेपी नेताओं ने कलराज मिश्रा के एक हाथ में कुछ कमी बता दिया था। वहीं पार्टी और संघ ने आजतक इस प्रकरण पर कोई जवाब नहीं दिया।

दुख इस बात का भी है कि माननीय ही उप मुख्यमंत्री जी के साथ घटी घटना का मौर्य समाज ने कितना बदला लिया ? क्या उसने अगली बार वोट करने से पहले सोचा ?

आज तक आरएसएस में सभी संघ संचालक का लिस्ट उठा कर देखिएगा सभी सवर्ण है. इन्हें आबादी में सबसे ज्यादा पिछड़ों और दलितों का केवल वोट लेना है। लेकिन बहुजन अभी भी सोया हुआ है।

सवाल यह भी है कि जिस नेता के अंदर इतनी जातिवादी मानसिकता विकृत और कुंठित रूप से भरी हो वह तमाम संवैधानिक पद पर रहने के दौरान कितने पिछड़ों , दलितों व अल्पसंख्यक का कल्याण किया होगा।

कल्पना कीजिए अगर इसी पद पर आसीन होकर कोई नेता पिछड़े वर्ग की या मुस्लिम धर्म की अच्छाइयों को गिनाने लगता तो यही बीजेपी नेता और गोदी मीडिया दिन रात भोंपू बजा डालती . उसे अब तक देश द्रोही बता देते।’

हालांकि इस तरह की तमाम आलोचनाओं से बचने के लिए राज्यपाल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक अन्य ट्वीट किया गया जिसमें ब्राह्मण शब्द की व्यापकता बताते हुए जातिवादी होने के आरोप से बचने की कोशिश की गई है।
दूसरे ट्वीट में लिखा गया-

‘ब्राह्मण शब्द का अर्थ बहुत व्यापक है। वही ब्राह्मण नहीं है जो अपने आपको ब्राह्मण कहता है, वह सभी ब्राह्मण है जो उससे जुड़े कर्म करते हैं। ब्राह्मण वह है जो मन, कर्म और वचन से सभी के प्रति सद्भावी और सहिष्णु होता है। धर्म से जुड़े मूल्यों का प्रसार करता है। ‘

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