दस साल से इंजीनियरिंग पास नहीं कर पा रहा है। हिंदू-मुस्लिम करने में जिंदगी झोंक रहा है। इसे नहीं पता है कि साम्प्रदायिकता का अंजाम क्या होता है। आईएएस अधिकारी प्रियंका शुक्ला ने इनकी कारस्तानी की जानकारी दी है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- ‘साम्प्रदायिक वैमनस्यता भड़काने के आरोप में जब रायपुर पुलिस एफबी यूजर ‘निशा जिंदल’ को गिरफ़्तार करने पहुंची तो पता चला कि 11 साल से इंजिनियरिंग पास नहीं कर पा रहे ‘रवि’ ही वास्तव में ‘निशा ‘हैं। ‘निशा’ के 10,000 फॉलोअर्स को सच बताने पुलिस ने रवि से ही उनकी सच्चाई पोस्ट कराई।’

भारत में यह जो सूचना क्रांति आई, इसने आईटी सेक्टर में भारत को महारथी तो बनाया ही, एक बड़ी आबादी को गधा बना डाला। आज आईटी सेल में जो सबसे सफल गालीबाज होगा, उसकी जिंदगी का हासिल क्या है?

आईटी सेल के महारथी अपने ऊपर किस बात का गर्व करेंगे? उनका परिवार उनके बारे में क्या सोचता होगा? मां बाप बताते होंगे कि बेटा फेसबुक गाली देने का बिजनेस करता है? कल को उनके बच्चे अपने दोस्तों से कहेंगे कि पापा ट्विटर पर दो रुपये प्रति ट्वीट गाली देते हैं? क्या भारत के युवा यही डिज़र्व करते हैं?

क्या आईटी सेल वाले या रवि जैसे लड़के सोचते होंगे कि अपने ही देश के गणमान्य लोगों को गाली देना, प्रताड़ित करना राष्ट्रवाद है?

साम्प्रदायिक व्यक्ति समझता है कि वह किसी धर्म, नस्ल, जाति के व्यक्ति या समुदाय का नुकसान कर रहा है। लेकिन यही असली खेल है। साम्प्रदायिकता उस समाज की बर्बादी की गारंटी है जो उसपर अमल कर रहा है। साम्प्रदायिकता भारत में हिंदुओं की सबसे बड़ी दुश्मन है। पूरी पीढ़ी को इसमें झोंका जा रहा है ताकि गुलामों की तरह इनपर राज किया जाए।

(ये लेख पत्रकार कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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