कृष्णकांत

जिस दिन संपादकों को मैनेज करके फ्रंट पेज की हेडिंग लगवाई गई कि ऑक्सीजन और दवाओं की कमी नहीं है, उसी दिन एक महिला अपने पति को बचाने के लिए उसके मुंह में सांस फूंकने की कोशिश कर रही थी, जिसे दुनिया ने देखा. उस दिन भी पूरे देश में हर बुनियादी चीज के लिए हर शहर में हाहाकार था.

मौत को सामने देखकर भी ये महिला कोरोना से डरे बगैर पति के मुंह में प्राण फूंकने की कोशिश कर रही है. सामने कोई अपना हो तो लोग मौत से लड़ जाते हैं. हद से ज्यादा डर हो जाए तो लोग डरना छोड़ देते हैं. अब आप अपनी अश्लील धमकियों से लोगों को डराना बंद कर दीजिए.

ट्विटर और फेसबुक पोस्ट डिलीट करवाकर ये सच नहीं छुपाया जा सकता कि लोग ऑक्सीजन और अस्पताल के बगैर मर रहे हैं. जिनके परिवार बर्बाद हो रहे हैं, उनके लिए ‘सकारात्मकता के शैतानों’ का प्रवचन किसी काम का नहीं है. लोग बहादुरी से मौत का सामना कर रहे हैं. ये सकारात्मकता फैलाने का अश्लील नाटक बंद कीजिए.

आप मकसद जनता के बीच पैनिक रोकना नहीं है. जनता पैनिक नहीं हुई है, वह मौत से लड़ रही है. पैनिक में आप हैं.

आप डरपोक हैं. आपको भय है कि आपका नकारापन लोगों के सामने न आ जाए. आपका मकसद अपनी वह नाक बचाना है जो हर रोज कटती है, लेकिन रोज बढ़ जाती है.

जो अपने परिजनों को खो रहे हैं वे मीडिया और सोशल मीडिया के बग़ैर भी जान जाएंगे कि उनके अपने अस्पताल के बाहर तड़प कर मर गए. लोग अपनी या किसी अपने की जान बचाने के लिए गुहार लगा रहे हैं.

आप मीडिया की जबान में ताला लगा देंगे, सोशल मीडिया बंद कर देंगे, फोन बंद कर देंगे तो लोग पैदल भागकर मदद मागेंगे और मदद करेंगे. वे मर जाएं या बच जाएं, हर हाल में ये याद रखेंगे कि जब हमारी जान पर बनी थी तब आप हमें चिल्लाने से रोकने के लिए क्रूरतापूर्ण षडयंत्र कर रहे थे.

दिल्ली में कल से ही ऑक्सीजन प्लांट के बाहर कतार लगी है. लोग अस्पतालों में सांस लेने के लिए तड़प रहे हैं. कुछ लोग बचाए जा रहे हैं कुछ की जान जा रही है.

जिनके परिजन ऑक्सीजन के बिना मर रहे हैं, उनसे आप कैसे छुपाएंगे कि आप ऑक्सीजन नहीं दे सके? उनसे ये बात कैसे छुपाएंगे कि जिस दिन 2700 से ज्यादा लोग मारे गए उस दिन आप रेडियो पर भाषण दे रहे थे?

महामारी आने से लेकर आज तक करीब दो लाख मौतें हो चुकी हैं और अब ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना बनाई जा रही है. आपकी नींद तब टूटी है जब पूरे देश में और पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया है.

हर दिन सरकारी आंकड़ों में ढाई तीन हजार मौतें हो रही हैं. वास्तविक आंकड़ा इसका कम से कम पांच गुना है. महामारी एक साल पहले आई थी.

सच यही है कि पीएम केयर के हजारों करोड़ रुपये बटोर कर आप भाषणबाजी कर रहे थे, किसानों के खिलाफ षडयंत्र कर रहे थे और चुनाव लड़ रहे थे.

महामारी का भय एक साल पहले ही जनता को पता चल गया था. पैनिक इसलिए फैल रहा है कि महामारी है. पैनिक इसलिए फैल रहा है कि आपके पास आज एक साल बाद लोगों की जान बचाने का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. आपका मकसद पैनिक रोकना नहीं है, आपका मकसद अपनी नाकामी और क्रूरता पर पर्दा डालना है.

जनता को पता चलना ही सबसे ज्यादा सकारात्मक बात है कि वे अस्पताल और मेडिकल सुविधाओं के भरोसे न रहें. घर से न निकलें. अपनी सुरक्षा खुद करें और जितनी हो सकती है लोगों की मदद करें.

आप मीडिया और सोशल मीडिया नियंत्रित कर लेंगे. लेकिन अब तक दुनिया में कोई ऐसा तानाशाह पैदा नहीं हो सका जो प्रकृति का कहर रोक ले. जो मौत को रोक ले. जो दुख में निकलने वाले आंसू रोक ले.

आप 162 ऑक्सीजन गैस का प्लांट लगने से रोक सकते थे सो उसे रोक लिया. आप मीडिया की आवाज रोक सकते थे, उसे रोक लिया. आप मौतों को नहीं रोक सकते. आपकी इस जबानबंदी में जो आपके साथ हैं, अब वे खुद और उनके परिजन भी कोरोना का शिकार हो रहे हैं. जो मर रहे हैं उनमें आपके समर्थक भी हैं. आप मौतों को नहीं रोक सकते.

इन क्रूर और हृदयहीन नेताओं की सबसे बड़ी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना नहीं है. इनकी प्राथमिकता है कि इनका नाकारापन लोगों के बीच न पहुंचे. जनता के खिलाफ क्रूरतापूर्ण षडयंत्र बंद कीजिए और लोगों की जान बचाइए.

(यह लेख पत्रकार कृष्णकांत की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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