अगर PM केयर्स फंड में कुछ गड़बड़ी नहीं है तो इसे संदिग्ध क्यों बनाया गया है? अगर सब ठीक है तो इसे ऑडिट या आरटीआई से मुक्त क्यों रखा गया है?

जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री की हैसियत से यह फंड बनाया है. इस तरह का ट्रस्ट बना ही नहीं सकते हैं. इस तरह का ट्रस्ट केवल कानून के माध्यम से ही बनाया जा सकता है. इसे सरकार ने बिना कानून के बनाया है. इस तरह से पीएम केयर्स फ़ंड गैरकानूनी है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई कि पीएम केयर्स फंड को असंवैधानिक घोषित किया जाए. कोर्ट ने ये याचिका विदड्रा करवा दी. फिर याचिका लगाई ​गई कि इस फंड के पैसे को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किया जाए, कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पीएम केयर्स फंड को पारदर्शी बनाने का भी आदेश नहीं दिया.

लेकिन जो सवाल थे, वे अब भी बने हैं:

1. बिना किसी कानून के सरकार ने ये फंड क्यों बनाया है? अगर यह फ़ंड कानून लाकर बनाया गया होता तो सीएजी ऑडिट के दायरे में आता. क्या इसीलिए कानून को बाइपास करके फ़ंड बनाया गया है?

2. डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट कहता है कि आपदा के वक्त कोई भी पैसा आता है तो वह राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ़) में आता है. फिर नए फंड की जरूरत क्यों पड़ी?

3. एनडीआरएफ को सीएजी ऑडिट कर सकता है. इसमें आरटीआई लागू होती है. लेकिन पीएम केयर्स फ़ंड का न तो ऑडिट हो सकता है, न ही इसमें आरटीआई से जानकारी मांगी जा सकती है. ये पर्देदारी कौन सी पारदर्शिता के लिए है?

4. पीएम केयर्स की सारी जानकारियां सार्वजनिक क्यों नहीं की गईं? इसकी ट्रस्ट डीड को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?

5. अगर किसी सरकार की ​नीयत में बेईमानी नहीं है तो क्या कारण है कि वह बार-बार कानूनी पारदर्शिता पर पर्दा डाल देती है?

6. कानूनी संस्थाओं को कमजोर बनाकर कौन-सा राष्ट्र निर्माण संभव है? संस्थाओं को कमजोर करके एक व्यक्ति को मजबूत करने से दुनिया में कौन-सा महान लोकतंत्र ​स्थापित हुआ है कि भारत भी वैसा बनना चाहता है?

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