सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में दोषी पाए गए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दो दिन का वक्त दिया है।
अदालत ने कहा है कि अगले दो दिनों में वो अपने बयान पर दोबारा विचार करें। लेकिन प्रशांत भूषण ने साफ़ कर दिया है कि वह अपने बयान को वापस नहीं लेंगे और ना ही माफी मांगेंगे। उन्होंने कहा कि अपने बयान के लिए सज़ा को भोगने के लिए तैयार हूं।
प्रशांत भूषण ने महात्मा गांधी के बयान का हवाला देते दुए कहा, “मेरे ट्वीट्स एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य को निभाने के लिए थे। ये अवमानना के दायरे से बाहर हैं। अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता। मैं किसी भी सज़ा को भोगने के लिए तैयार हूं जो अदालत देगी। मैं माफ़ी नहीं माँग रहा।”
प्रशांत ने अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर अपना दर्द बयान करते हुए कहा, “पीड़ा है कि मुझे अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है, जिसकी महिमा मैंने एक दरबारी या जयजयकार के रूप में नहीं बल्कि 30 वर्षों से एक संरक्षक के रूप में बनाए रखने की कोशिश की है।”
प्रशांत ने आगे कहा, “मैं सदमे में हूं और इस बात से निराश हूं कि अदालत इस मामले में मेरे इरादों का कोई सबूत दिए बिना इस निष्कर्ष पर पहुंची है। कोर्ट ने मुझे शिकायत की कॉपी नहीं दी। मुझे यह विश्वास करना मुश्किल है कि कोर्ट ने पाया कि मेरे ट्वीट ने संस्था की नींव को अस्थिर करने का प्रयास किया।”
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में खुली आलोचना ज़रूरी है। हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब संवैधानिक सिद्धांतों को सहेजना व्यक्तिगत निश्चिंतता से अधिक महत्वपूर्ण होना चाहिए।
प्रशांत ने पुनर्विचार की बात पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मैं इस पर पुनर्विचार कर सकता हूं, लेकिन कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा। मैं अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहता। मैं अपने वकीलों से सलाह लूंगा और फिर सोचूंगा”।