यूं तो भारत की अर्थव्यवस्था मोदी सरकार के कार्यकाल में पहले से ही डगमगाई हुई थी लेकिन कोरोना काल के दौरान भारत में बेरोजगारी का आलम और बढ़ गया है।

हाल ही में आईएलओ एडीबी ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें यह बताया गया है कि भारत में 41 लाख युवाओं के रोजगार जाने का अनुमान है। इसमें निर्माण और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संकट की वजह से 15 से 24 साल के युवा बाकी उम्र के लोगों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित होंगे। इसमें कहा गया है कि वैश्विक महामारी के कारण युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं को भी तगड़ा झटका लगा है। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह आर्थिक और सामाजिक लागत के हिसाब से ये जोखिम दीर्घकालिक है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अपने शुरुआती कार्यकाल के दौरान देश के युवाओं को ढाई करोड़ रोजगार देने का ऐलान किया था। लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत आज युवाओं के लिए स्थिति चिंताजनक बन चुकी है।

इस रिपोर्ट में सरकार से युवाओं के लिये रोजगार के अवसर पैदा करने, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पटरी पर लाने व 66 करोड़ युवा आबादी के भविष्य को लेकर निराशा कम करने के किए तत्काल बड़े पैमाने पर कदम उठाने का आह्वान किया गया है।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि युवाओं के लिए पहले से मौजूद चुनौतियां कोरोनावायरस महा संकट के कारण और बढ़ गई हैं। अगर इस तरफ सरकार ने पर्याप्त ध्यान नहीं दिया तो इस संकट का असर कई सालों तक देखने को मिल सकता है।

इस मामले में समाजवादी पार्टी की नेता जूही सिंह ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया- “ILO के अनुसार भारत 41 लाख युवाओं ने कोविड में अपनी नौकरियाँ गंवा दीं,आत्मनिर्भर बनने पर विवश।”

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