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सेना के लिए पनडुब्बी बनाने का एक ठेका जारी होने जा रहा है। इसके तहत अडानी डिफेंस और हिन्दुस्तान शिपायर्ड लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम को आज कैबिनेट की मंजूरी दी जानी है। यह परियोजना 45 हजार करोड़ रुपये की है।
अडानी डिफेंस के पास बिजली संयंत्र चलाने का अनुभव दिखाया गया है। उसे पनडुब्बी बनाने का कोई अनुभव नहीं है।
नियमों के हिसाब से अडानी डिफेंस के पास राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी इस पनडुब्बी परियोजना का कांट्रेक्ट हासिल करने की पात्रता नहीं है। आरोप है कि यह निर्णय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति के फैसलों के खिलाफ है लेकिन सरकार इस पर आगे बढ़ रही है।
नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने नियमों के अनुसार भारत सरकार की कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और लारसन एंड टूब्रो को चुना था और अडानी-एचएसएल के आवेदन को खारिज कर दिया था।
नौसेना की नहीं अडानी की सुनती है ‘राष्ट्रवादी’ सरकार, विरोध के बावजूद दिया 45000 करोड़ का ठेका
नौसेना की समिति के इस निर्णय के विरुद्ध जाकर अडानी-एचएसएल को परियोजना में शामिल करने का मौका दिया जा रहा है। यह एक तरह से दूसरा राफेल कांड है।
इसी तरह वायुसेना ने 126 राफेल विमान मांगा था तो देशहित में ये संख्या 36 कर दी गई थी और अंबानी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया, जिनको लड़ाकू विमान बनाने का कोई अनुभव नहीं था। राफेल का निर्णय भी सरकार के नियमों के विरुद्ध था।
राफेल अब राष्ट्रहित का प्रतीक बना दिया गया है और घोटाले पर पर्दा डाल दिया गया है।
अडानी अमीरी में दूसरे स्थान पर और भारत भुखमरी में 102वें पर आ गया, आप हिंदू-मुस्लिम कीजिए
अब नौसेना के विरोध के बावजूद अडानी को मेक इन इंडिया के तहत पनडुब्बी बनाने का ठेका दिया जा रहा है, जिन्हें पनडुब्बी बनाने का जीरो अनुभव है। उस कंपनी के नाम पर विचार कैसे किया जा सकता है जिसने ये काम कभी किया ही नहीं और अनुभव के नाम पर बिजली बनाने का अनुभव दिखाया गया है?
प्रिय जनता जनार्दन! आप हिंदू मुस्लिम पर फोकस कीजिए, उधर खजाना पार हो रहा है। इसके बाद सब अपने नाम के आगे लिख लेना मैं भी चौकीदार।
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कृष्णकांत