राफेल विमान बनाने का ठेका अंबानी ग्रुप को दिए जाने के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार 45000 करोड़ रुपये का पनडुब्बी बनाने का ठेका अडानी ग्रुप को देने की तैयारी में है। जिसका नौसेना ने विरोध किया है।
दरअसल, नेवी की ‘एम्पॉवर्ड कमेटी’ ने पनडुब्बी बनाने के डिफेंस प्रोजेक्ट के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और लारसन एंड टूब्रो को चुना है। इन दोनों का चुनाव कमेटी ने इनके पनडुब्बी बनाने के अनुभव के आधार पर किया है। लेकिन सरकार कमेटी के सुझाव को दरकिनार करते हुए ये चाहती है कि प्रोजेक्ट का ठेका अडानी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) जॉइंट वेंचर को मिले। जिसे पनडुब्बी बनाने का कोई अनुभव नहीं है।
रक्षा मंत्रालय ने अडानी ग्रुप को ठेका दिए जाने की वकालत करते हुए कहा कि इस तरह के ज्वॉइंट वेंचर्स को मौका दिया जाना चाहिए। मंत्रालय का कहना है कि यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सबसे बड़े डिफेंस प्रोजेक्ट में से है। सरकार द्वारा बिना अनुभव वाली कंपनी को प्रोजेक्ट दिए जाने के सुझाव पर विवाद खड़ा हो गया है।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का आरोप है कि सरकार अपने दोस्तों को फयदा पहुंचाने के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए पिछले दरवाजे से एंट्री दिलवा रहे हैं। ‘एम्पॉवर्ड कमेटी’ ने दो आवेदनों को स्वीकार किया लेकिन मोदी सरकार अडाणी जेवी को भी इसके लिए चुन रही है। अडाणी डिफेंस को पनडुब्बी निर्माण का कोई अनुभव नहीं है।
बता दें कि इससे पहले मोदी सरकार ने राफेल विमान बनाने से जुड़ा एक ठेका अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को दिया था। उस वक्त भी आरोप लगे थे कि सरकार ने नियमों को ताक़ पर रखकर ये ठेका रिलायंस को दिया। जबकि ये ठेका सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को दिया जाना था।