दरियागंज हिंसा मामले में भीम आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर आज़ाद को कोर्ट ने इस शर्त पर ज़मानत दी कि वह नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे। कोर्ट के आदेश को मानते हुए वह शाहीन बाग़ तो नहीं पहुंचे, लेकिन टीवी के माध्यम से उन्होंने शाहीन बाग़ के विरोध की आवाज़ को बुलंद किया।
उन्होंने समाचार चैनल NDTV से बात करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ख़ुद को जनता का सेवक बताते हैं। लेकिन आप देखें कि शाहीन बाग में आंदोलन चल रहा है। हज़ारों माताएं और बहनें वहां बच्चों सहित कड़ाके की ठंड में बैठी हुई हैं। हम यहां जैकेट और कपड़े पहने बैठे हैं, वह ऐसी ठंड में सड़क पर बच्चों के साथ तकलीफ में बैठी हैं और हमारे देश के प्रधानमंत्री को उनकी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही”।
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चंद्रशेखर ने आगे कहा, “मैं सोच रहा हूं कि गांव के लोगों की तकलीफ पीएम मोदी तक कैसे पहुंचती होगी जब दिल्ली के शाहीन बाग़ की आवाज़ उन तक नहीं पहुंच रही”। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी उन लोगों की पहचान पर सवाल खड़े कर रहे हैं जिन्होंने जंगे आज़ादी में कुर्बानियां दीं।
भीम आर्मी चीफ़ ने कहा कि कपड़ों से लोगों की पहचान करने वाले मोदी खून से लोगों को पहचान करें। वह मेरा खून लें और अपना भी खून दें, इसके बाद चेक कराए कि किसके ख़ून में भारतीयता है।
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बता दें कि चंद्रशेखर को दिल्ली पुलिस ने 21 दिसंबर को हिंसा भड़कान के आरोप में दरियागंज से गिरफ्तार किया था। वह तभी से जेल में बंद थे। अपनी रिहाई के लिए उन्होंने दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट में पिछले दिनों ही जमानत याचिका दाखिल की थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें बुधवार को सशर्त ज़मानत दे दी। कोर्ट ने उन्हें शाहीन बाग़ के प्रदर्शन में शामिल होने से मना किया है।