बलात्कारियों ने देश की एक बेटी की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी ज़ुबान काट दी ताकि वो बलात्कारियों के खिलाफ़ बोल ना सके।

सवाल यह है कि रागदरबारी मीडिया ने अपनी रीढ़ की हड्डी क्यों तोड़ ली और ज़ुबान क्यों सिल ली? इतना भी नहीं बोल पा रहे हैं कि हाथरस उत्तर प्रदेश में है।

दरअसल इसके पीछे एक ख़ास तरह की मानसिकता काम करती है। भाजपा का विधायक कुलदीप सेंगर याद है?

कैसे सत्ता ने बलात्कार और हत्या के इस आरोपी को बचाने का भरपूर प्रयास किया था। सत्ता, जाति, पितृसत्ता और अवसरवादिता के गठजोड़ से ही अपराधियों और बलात्कारियों का मनोबल बढ़ता है।

हाथरस की दर्दनाक घटना में भी यही देखने को मिला है। नतीजा यह है कि बलात्कारी बेख़ौफ होकर हमारी निर्भयाओं को बलात्कार के बाद मौत के घाट उतार रहे हैं।

ये घटनाऐं किसी भी देश या समाज के लिए जितनी दर्दनाक है उतनी ही शर्मनाक भी है।

हम लोग जब आजाद देश में महिलाओं की बेख़ौफ आजादी की मांग करते हैं तो समाज के ऊपर गुलामी थोपने वाली ताक़तें उल्टा हमें ही देशविरोधी करार देते हैं।

कान खोलकर सुन लो, जब तक समाज में शोषण, गुलामी और गैरबराबरी है, तब तक इसके खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।

  • कन्हैया कुमार

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