बेटी की मां हिंदू रीति रिवाज से बेटी का अंतिम संस्कार करने की गुहार लगाती रही। उसे आखिरीबार हल्दी लगाने की बात कहती रही।

लेकिन योगी प्रशासन ने किसी की एक ना सुनी। आधी रात करीब 3 बजे बेटी मनीषा के शव को आग लगा दी गई।

कल पूरे देश ने देखा एक बेटी कैसे सत्ता के अंहकार की भेंट चढ़ गई। पहले चार दरिंदों ने मिलकर गैंगरेप किया फिर जीभ काटी, हड्डियां तोड़ डाली।

इतना घिनौना अपराध करने के बावजूद 8 दिन गैंगरेप का केस दर्ज करने में लग गए। 15 दिन दिल्ली अस्पताल भेजने में लग गए।

जब मामला डिजिटल मीडिया के जरिए सुर्खियों में आया तब जाकर नींद से जागी योगी सरकार लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

अगले दिन यानि 29 सितंबर को पीड़ित हाथरस की बेटी ने दम तोड़ दिया। दम तोड़ दिया इस अंहकारी सत्ता के सामने जो अगर समय रहते जाग जाती तो शायद बेटी मनीषा आज जिंदा होती।

कल जो हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे दलित होना ऊपर से बेटी होकर जीना कितना कठिन है।

लेकिन जो कल आधी रात हुआ वो तो बेहद शर्मनाक था।

बेटी की मौत के बाद शव को घर लाया गया परिवार जन और ग्रामीण शव को घर ले जाने की गुहार लगाते रहे।

मीडिया को यह तक नहीं बताया कि जो खेत में जल रहा है वो क्या है ?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस वक्त स्थानीय पुलिस ने परिवार वालों को घर में कैद कर दिया था। इसका मतलब बेटी के शव को पुलिस वालों ने जला दिया।

कम से कम जिस बेटी को जीते जी इंसाफ नहीं मिला उसका मरने के बाद सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार को करने देते।

वहीं इस मामले पर राजद नेता तेजप्रताप यादव ने ट्वीट कर लिखा- “औलादें” होती तो शायद साहब को भी दर्द होता..! #हाथरस

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