मोदी सरकार इसी कार्यकाल में ऐसा काम करके जाएगी कि हमारी आने वाली पीढियां प्राइवेट सेक्टर की गुलाम बन जाएगी। मोदी सरकार ने कल विभिन्न क्षेत्रों की सरकारी संपत्तियों में मोनेटाइजेशन कर कुल 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने के लक्ष्य की घोषणा की है।

आलोचना होने पर कहा है कि हम बेच थोड़ी न रहे हैं, हम तो लीज पर दे रहे हैं और लीज एक तय समयसीमा के लिए होगी।

उसके बाद पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकार के पास आ जाएगा। जिन रोड, रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट्स को लीज पर दिया जाएगा, उनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा।

अब सवाल यह उठता है कि यह लीज आखिर कितने सालो के लिए दी जा रही है? आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि एयरपोर्ट के मामले मे यह लीज 50 सालों की है और रेलवे स्टेशन और उससे लगी जमीनें 100 साल के लिए निजी कंपनियों को लीज पर दी जाएगी। जी हां पूरे 100 सालों के लिए !

अब यह बेचे जाने से कैसे कम है आप ही फैसला कीजिए? जब देश के पहले रेलवे स्टेशन हबीब गंज को प्राइवेट करने का फैसला हुआ तो यह लीज 45 सालों के लिए दी गयी।

लेकिन निजी कंपनियों को यह रास नही आया। उन्होंने जिद कर के सरकार से बाकी तमाम रेलवे स्टेशन को 99 सालों के लिए लीज पर देने की शर्तों को अनुबंध में डलवा दिया।

कल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जो योजना प्रस्तुत की है उसके अंतर्गत 400 स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन, 1400 किमी के ट्रैक वह लीज पर देंने जा रही हैं, साथ ही पहाड़ी इलाकों में रेलवे संचालन भी प्राइवेट कंपनियों को सौपा जा रहा है।

इसमें कालका-शिमला, दार्जिलिंग, नीलगिरी, माथेरन जैसे ट्रैक शामिल हैं। इसके अलावा देश भर मेंं रेलवे के 265 गुड्स शेड लीज पर दिए जाएंगे।

साथ ही 673 किमी डीएफसी भी निजी क्षेत्र को दी जाएगी। इनके अलावा चुनिंदा रेलवे कॉलोनी, रेलवे के 15 स्टेडियम का संचालन भी लीज पर दिया जाएगा।

हम सब जानते हैं कि तेल तिलों से ही निकलता है। प्राइवेट कम्पनियां जनता का ही तेल निकाल कर ठेके की रकम की वसूली करेगी। इसके लिए मोदी सरकार ने रेलवे के यात्रियों पर यूजर चार्ज लगाने का प्रावधान पहले से ही कर दिया है।

शुरुआत में देश के 15 फीसदी रेलवे स्टेशनों पर यूजर चार्ज लगाया जाना है। दिल्ली में हवाई अड्डा पर देखें तो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय (International) यात्रियों से अलग अलग यूजर चार्ज लिया जाता है। वह करीब 500 रुपये के करीब होता है।

यानी आप भी रेलवे स्टेशन पर लगभग 500 रु यूजर चार्ज देने की तैयारी कर लीजिए।

(यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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