ममता सरकार बनाम मोदी सरकार मामले में आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद सबने अलग अलग तरीके से जीत मना ली। मगर बीजेपी और ममता बनर्जी दोनों ने अपने अपने तरफ का सच बयां किया।

मगर सच ये है कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपने तरीके से समझाने की कोशिश की है और अगली सुनवाई तक ये भी साफ़ कर दिया है कोलकाता कमिश्नर को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है मगर उनसे पूछताछ भी होनी चाहिए।

इस मामले पर पत्रकार ओम थानवी ने सोशल मीडिया पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट के शब्दों पर केंद्र के नेता कूद रहे हैं; ममता इसे अपनी जीत बता रही हैं। यह सही है कि कोलकाता पुलिस प्रमुख को CBI से सहयोग करने को कहा गया है। ममता या उनके पुलिस प्रमुख को इससे कतराना क्यों चाहिए?

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लेकिन यह भी सच है कि अब CBI पुलिस प्रमुख पर हाथ नहीं डाल सकती। न अपनी गारद लेकर फिर से कोलकाता जा सकती है। ज़ाहिर है, केंद्र का रवैया ही निहायत बचकाना था।

नए CBI प्रमुख के कार्यभार सम्हालने से ठीक पहले, अपने कामचलाऊ प्रमुख के सहारे, CBI के चालीस लोग कोलकाता भेज दिए। विरोधी राज्य सरकार के पुलिस प्रमुख को घेरने, उनके यहाँ पर छापा मारने के लिए।

विरोधी नेताओं से लेकर उनके क़रीबी अफ़सरों, रिश्तेदारों आदि पर छापे डालने, मुक़दमे दर्ज करने और गोदी मीडिया से उनकी बदनामी प्रायोजित कराने में मौजूदा राजग सरकार ने कीर्तिमान बनाया होगा।

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ज्यों-ज्यों चुनाव नज़दीक आते हैं, ऐसी कार्रवाइयाँ बढ़ती जाती हैं। जो भाजपा में आ बैठा, वह ज़रूर महफ़ूज़ है। कहना न होगा, इसके पीछे मोदी सरकार की अजब बेचैनी भी नमूदार है। क्या उसे चुनाव में भद्द पिटने का इतना भय है?

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