लोकसभा चुनावों से पहले जिस तरह से CBI ने विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई तेज़ की है उसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी नेताओं से लेकर कई पत्रकारों और समाजसेवियों का मानना है कि चुनावों से पहले केंद्र की मोदी सरकार अपने विरोधियों को डराने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है।
अध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद ने भी सीबीआई की हालिया कार्रवाई को दुर्भावना से परिपूर्ण बताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “CBI सिर्फ़ एक जाँच एजेंसी है, लेकिन इन 5 सालों में उसे विपक्ष को डराने, गठबंधन तुड़वाने और लोकतंत्र को दफ़नाने जैसा महत्वपूर्ण कार्यभार भी सौंप दिया गया है”।
CBI सिर्फ़ एक “जाँच” एजेंसी है,लेकिन इन “5” सालों में उसे “विपक्ष” को डराने,गठबंधन “तुड़वाने” और लोकतंत्र को “दफ़नाने” जैसा महत्वपूर्ण कार्यभार भी “सौंप” दिया गया है.
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) February 5, 2019
बता दें कि बीते रविवार को पश्चिम बंगाल में शारदा और रोजवैली चिटफंड घोटाले के सिलसिले में CBI की एक टीम के कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर बिना वारंट के पूछताछ करने पहुंची थी।
जिसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताया। उन्होंने इस कार्रवाई के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी किया।
CBI की इस कार्रवाई का देशभर की कई पार्टियां ने विरोध किया है। इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ममता बनर्जी से फोन पर बात की थी और उनका समर्थन किया था।
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हाल ही में CBI कई विपक्षी नेताओं को अपने निशाने पर ले चुकी है। जिसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम शामिल है।
इन तमाम कार्रवाईयों पर भी सवाल उठे थे। विपक्षी नेताओं और जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार CBI का इस्तेमाल उन्हें डराने और लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है।