चुनावी का दौरा कर मैंने सोमवार को लिखा था –

“राजस्थान में भाजपा को वसुंधरा के काम का आसरा नहीं, न मोदी के नाम का है। तो पार्टी को आख़िर सहारा है किसका?”

एग्ज़िट पोल भाजपा की लुटिया लुढ़का रहे हैं। असली नतीजे भी उसे जिताने से रहे।

पता नहीं लाए कहाँ से होंगे, पर भाजपा ने इस चुनाव में बेशुमार पैसा झोंका। ख़ुद मोदी शहरों को, तो शाह क़स्बों तक को नाप गए। उड़नखटोलों में डोलते हुए केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्री और ‘स्टार’ प्रचारकों ने आए दिन सभाएँ कीं।

फिर भी वसुंधरा राजे को जनता जनार्दन ने चलता किया। राजा-महाराजाओं के दिन पहले लद गए थे। ‘महारानी’ के अब लदे। निठल्लेपन का घड़ा एक रोज़ फूटता है। मगर मोदी की ‘लोकप्रियता’ को क्या हुआ?

(वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की फेसबुक वॉल से साभार)

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