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LIC AirIndia

धरा बेच देंगे गगन बेच देंगे
वो पूरा का पूरा चमन बेच देंगे
बड़े शान से रह रहे हो अभी तक
वो इस मुल्क का सब अमन बेच देंगे

भारत का हर इक पीएसयू बिकेगा
जेएनयू बिकेगा बीएचयू बिकेगा
बिकेगा एलआइसी एयरवेज बिकेगा
ये डीयू, जमीया, एएमयू बिकेगा

बच्चे पढ़ाकर दिखाओ तो जानें
सस्ती दवाई कराओ तो जानें
भरपेट भोजन कराओ तो जानें
कहीं नौकरी भी दिलाओ तो जानें

सुनो लिबरलों! यह नया इंडिया है
कट्टा है, तलवार है, झंडियां हैं
बनाये हैं ऐसे शहर हाहाकारी
कि बिकते हुए जिस्म की मंडियां हैं

वो बापू का चश्मा, छड़ी बेच देंगे
वो इतिहास की हर घड़ी बेच देंगे
अभी बेचना है खजाने को पहले
वो संसद खड़ी की खड़ी बेच देंगे

जिसे सब समझते हैं अपनी धरोहर
वैसा ही तुम भी बनाओ तो जानें
अगर बाप का घर गिराने चले हो
तो छोटा सा इक घर बनाओ तो जानें

गुस्से में इक दिन पिता हमसे बोले
गधे जैसे खा खा के मोटे हुए हो
मुफत माल पाकरके ऐंठे हुए हो
कभी कुछ जरा सा कमाओ तो जानें
इक दिन की रोटी भी लाओ तो जानें…!

( ये कविता कृष्णकांत के फेसबुक वॉल से साभार ली गई है )

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