कल रात उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गयी पुलिस की टीम पर विकास दुबे के लोगो ने हमला कर दिया जिसमे 1 डीएसपी समेत 8 पुलिस के जवान शहीद हो गए और 4 पुलिस के जवान गभीरं रूप से घायल हुए। यह वो ही विकास दुबे है जिस पर 60 से ज्यादा मामले दर्ज है जिसमे हत्या के प्रयास, डकैती जैसे संगीन आरोप है, यह वो ही विकास दुबे है जिसने 2001 में वहां के स्थानीय नेता की थाने में हत्या करी थी जब उत्तर प्रदेश में राजनाथ की सरकार थी।
घटनाक्रम को देखिए… पुलिस धारा 307 में विकास दुबे को पकड़ने जाती है लेकिन उसे पहले से ही यह खबर कोई दे देता है इसलिए उसे पुलिस को घेरने का पूरा मौका मिलता है, रास्ते मे जे.सी.बी. अड़ा कर रास्ता रोका जाता है और जैसे ही पुलिस की गाड़ी रुकती है बस अंधाधुन फायरिंग शुरू हो जाती है मानो कोई फ़िल्म का सीन शूट हो रहा हो। प्रश्न यह उठता है कैसे विकास दुबे को पहले से पुलिस के आने की खबर लगी ? कैसे विकास दुबे और उसके साथियों के पास इतने सारे हथियार आये ? क्या कुछ पुलिस वाले ही विकास दुबे से मिले हुए थे ?
आप सोचिये की जब उत्तर प्रदेश में पुलिस ही सुरक्षित नही है तो जनता का क्या हाल होगा ? एक नजर उत्तर प्रदेश के क्राइम रिकॉर्ड पर भी डाले तो स्थिति पता चलेगी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने दो साल के लेट लतीफी के बाद 2017 के आंकड़े जारी किए अगर उन्ही आंकड़ो को देखे तो उत्तर प्रदेश की स्थिति साफ साफ दिखती है।
वर्ष 2017 में पूरे देश में सबसे ज्यादा अपराध केवल उत्तर प्रदेश में ही हुए जो पूरे देश के लगभग 10% के बराबर थे, सबसे ज्यादा हत्याओं में यूपी टॉप पर रहा, सड़क हादसे भी यहीं सबसे ज्यादा रहे, दहेज हत्या और अपहरण में टॉप किया वहीं दुष्कर्म और दंगो में नंम्बर 2 पर रहा। पुलिस का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जनसंख्या भी ज्यादा है तो अपराध भी अन्य राज्यो के मुकाबले ज्यादा ही होंगे, लेकिन पुलिस वालों को यह कौन बताये की जनसंख्या के हिसाब से पुलिसकर्मियों की संख्या भी अन्य राज्यो के मुकाबले ज्यादा ही है।
दरअसल उत्तर प्रदेश और अपराध दोनों का ही चोली दामन का साथ है आंकड़े तो आप देख ही चुके है लेकिन हमारा बॉलीवुड भी अपराध और भ्र्ष्टाचार भरी फ़िल्म बनाना हो तो उत्तर प्रदेश के पृष्टभूमि को ही चुनता है फिर चाहे वो मिर्जापुर जैसी सुपरहिट वेब सीरीज हो या फिर दबंग और जॉली एलएलबी 2 जैसी सुपरहिट फिल्में हो, जनता को भी ऐसी फिल्में देखने मे तभी मजा आता है जब फिल्मों में यू.पी का तड़का हो…उत्तर प्रदेश में ही बड़े बड़े गुंडों को आदर पूर्वक ‘ बाहुबली ‘ के सम्मान से नवाजा गया है चाहे वो अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी हो या फिर राजा भैया हो इन सभी ने अपराध में पीएचडी कर रखी है। सरकारे किसी की भी हो इनका सिक्का हमेशा बुलंद रहा है।
विकास दुबे जैसे हिस्ट्रीशीटर को भी जरूर किसी बड़े नेता की शरण मिली हुई होगी तभी उसने इतना दुस्साहस किया होगा, उत्तर प्रदेश पुलिस से एक ही आग्रह है कि ऐसे गुंडों को समाज में रहने का कोई अधिकार नही है इसलिए इन्हें और इनकी पूरी गैंग को ठोक कर ही उन 8 शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है।
(ये लेख रवीश वैद्य के फेसबुक वॉल से लिया गया है।)