प्रधानमंत्री ने यूपी में अन्न महोत्सव की शुरुआत की है। इसके उपलक्ष्य में अख़बारों में विज्ञापन दिए गए। विज्ञापन के कोने में लिखा है कि 15 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा।

यानी 15 करोड़ लोगों को 25 किलो अनाज मुफ़्त दिए जाएँगे। ये वो लोग हैं जिन्हें सरकार 3-2 रुपये गेहूं और चावल देती है। इस योजना का नाम ग़रीब कल्याण योजना है।

यूपी की आबादी 23 करोड़ है और 15 करोड़ मुफ़्त अनाज पर आश्रित हैं। प्रदेश की ग़रीबी का हाल देखिए कि सरकार अनाज एक झोले में दे रही है।

उस झोले के बारे में भी अलग से विज्ञापन में बताया गया है कि 25 किलोग्राम भारत क्षमता वाले थैलों के साथ राशन का वितरण होगा।

क्या यूपी में इतनी ग़रीबी है कि एक झोला भी हीरे की तरह दिया जा रहा है? इस झोले पर प्रधानमंत्री की तस्वीर छपी है ताकि लोगों को ग़रीबी याद रहे और मोदी भी।

इसी तरह खुद प्रधानमंत्री ने बताया है कि गुजरात में ग़रीब कल्याण योजना का लाभ 3.5 करोड़ लोगों को मिल रहा है।

गुजरात की आबादी 7 करोड़ है। पचीस साल से भाजपा की सरकार है और जहां नरेंद्र मोदी 14 साल मुख्यमंत्री रहे हैं।

तो यह विकास का कौन सा मॉडल है जिसमें लोगों का जीवन स्तर नहीं सुधरता है? विकास का फ़ोटो मॉडल है। आपने देखा होगा कि गांधीनगर रेलवे स्टेशन को फ़ाइव स्टार बनाया गया है ताकि आपको निकास दिखे।

गांधीनगर कोई बहुत व्यस्त स्टेशन नहीं है। इसके अलावा सुंदर बनाने के नाम पर कई स्टेशनों को चमकाया जा रहा है

ताकि आप केवल देखने में व्यस्त रहें कि विकास हुआ है और उसके बाद मुफ़्त अनाज लेने की लाइन में लगे रहें तो वहाँ भी झोले पर मोदी जी दिख जाएँ ।

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