मीना कोटवाल

तकरीबन पिछले ढ़ाई महीने से हमारे देश के किसान कंपकंपाती ठंड में सड़कों पर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस दौरान 150 से ज्यादा किसानों की जान चली गई लेकिन क्या मजाल कि देश के सो कॉल्ड बड़े कलाकर इसपर एक शब्द भी बोलते!

आंदोलन बड़ा होता गया और सत्ता क्रूर होती चली गई, सड़कों पर कील बिछा दी गई, इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई, गड्ढे खोद दिए गए लेकिन किसी नामी सेलिब्रिटी ने एक शब्द नहीं बोला.

प्रदर्शन स्थलों पर जब इंटरनेट सेवा बंद की गई तो किसानों के पक्ष में अंतराष्ट्रीय संस्थानों और शख्सियतों ने बोलना शुरू किया.

इसके बाद उम्मीद थी कि देश के सो कॉल्ड मशहूर सेलिब्रिटी भी किसानों के पक्ष में उतरेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सचिन तेंदुलकर, अजय देवगन, अक्षय कुमार जैसे सेलिब्रिटी इसे प्रोपेगेंडा बता रहे हैं!

आप सभी लोगों ने इन्हें सर-आंखों पर बैठाया तो अब जाकर इन सबसे पूछिए कि जब 150 ज्यादा किसानों की जान चली गई है तो क्यों नहीं आपलोगों ने किसानों के लिए ट्वीट किया?

आपकी टैक्स के पैसों से आज ये देश-दुनिया में शोहरत और नाम कमा रहे हैं, क्या उनके अंदर इतना भी साहस नहीं है कि वे देश के अन्नदाताओं के पक्ष में खड़े हो पाए?

पीएम साहेब ने जब ‘नमस्ते ट्रंप’ आयोजन किया था तब देश की विदेश नीति को कितना नुकसान पहु्ंचा था इसका अंदाजा भी है इन्हें? जब कैपिटॉल हिल की घटना पर पीएम ने ट्वीट किया था तो क्या अमेरिका के खिलाफ वह प्रोपेगेंडा था?

क्या ये लोकतंत्र के मूल्यों से वाकिफ भी हैं? क्या इन्हें किसान, मजदूर, दलित-आदिवासी, महिला, अल्पसंख्यक आदी के दुख-दर्द से मतलब भी है?

मैं बार-बार कहती हूं, और फिर कह रही हूं कि ये सभी फेक सेलिब्रिटी हैं जो देश के लिए नहीं बल्कि पैसे और खुद के लिए काम करते हैं. इन्हें उतारो नीचे, बंद करो इन्हें देखना, असली नायक देश के किसान और जवान हैं.

इन्हें सर-आंखों पर बैठाओ, ये अपनी जान दे देते हैं देश के लिए…किसान, दलित, आदिवासी, महिला, मुस्लिम, गरीब, मजदूर आदी के मरने से ना इन्हें फर्क पड़ता था और ना ही आगे पड़ेगा.

इनकी भावनाएं खोखली हैं, संवेदनाएं दिखावटी हैं, इन्हें अब पहचानों और इनकी औकात दिखा दो. याद रखना दोस्तों वे हमसे हैं, हम उनसे नहीं, उन्हें हमारी जरूरत है, हमें उनकी जरूरत नहीं है! I repeat कभी भी नहीं…

जो कलाकार देश का नहीं हुआ, किसानों का नहीं हुआ, दलित-आदिवासियों-अल्पसंख्यकों का नहीं हुआ, मजदूरों और मजलूमों का नहीं हुआ वो आपको कभी नहीं होगा! वे सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए जी रहे हैं बस…!

(यह लेख पत्रकार मीना कोटवाल की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here