बीते साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में आंदोलनरत किसानों ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन भाजपा की सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने से इंकार कर रही है।

कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय जनता पार्टी की कई सहयोगी पार्टियों ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। जिनमें से एक राजस्थान में भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी है।

आरएलपी अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने किसानों के समर्थन में भाजपा से अपना रास्ता अलग कर कृषि कानूनों का खुलेआम विरोध किया है।

आज राजस्थान में आरएलपी अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल के समर्थकों द्वारा ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया था। हालाँकि हनुमान बेनीवाल संसद सत्र के चलते खुद दिल्ली में हैं।

मीडिया से बातचीत करते हुए आरएलपी अध्यक्ष ने कहा कि कृषि कानून जब तक नहीं वापस होंगे। तब तक आंदोलन चलता रहेगा। सरकार को कानून वापस लेने ही पड़ेंगे।

आज राजस्थान में ट्रैक्टर रैली निकाली गई है और 6 फरवरी को देश भर में किसानों द्वारा चक्का जाम किया जाएगा।

हमारी पार्टी ने बिना किसी शर्त किसान आंदोलन को शुरुआत एक ही समर्थन दिया है।

उन्होंने कहा कि हमने सत्ता को ठोकर मार कर किसानों का साथ दिया है। इस दौरान उन्होंने देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर हमला बोलते हुए कहा कि यह एक राज्य का आंदोलन नहीं है। साल 2024 में जब चुनाव होंगे तो उन्हें पता चल जाएगा।

किसानों ने यह ठान लिया है कि अगर उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया गया। तो साल 2024 में दोबारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में नहीं आने दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी इस समस्या का हल निकालना चाहते हैं तो यह ऐलान कर दें कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाता है।

उन्होंने चुनाव के दौरान किसानों से वोट हासिल करने के लिए वादा किया था कि उनकी आय को दोगुना किया जाएगा। कांग्रेस पर इल्जाम लगाने की जगह अपने वादे को पूरा करें।

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